असम को कश्मीर नहीं बनने देंगे : अमित शाह

Last Updated 18 Feb 2019 07:05:08 AM IST

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने रविवार को कांग्रेस और राजग के पूर्व सहयोगी दल असम गण परिषद की आलोचना करते हुए कहा कि दोनों ही दलों ने 1985 में ‘असम संधि’ पर हस्ताक्षर होने के बाद ज्यादातर समय सत्ता में रहने के बावजूद इस संधि को लागू करने के लिए कुछ नहीं किया। उन्होंने कहा, ‘‘हम असम को दूसरा कश्मीर नहीं बनने देंगे।


अमित शाह (file photo)

यही वजह है कि हम एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक पंजी) लेकर आए। हम एनआरसी की मदद से हर घुसपैठिये को वापस भेजेंगे। हम उसके लिए कटिबद्ध हैं।’’
यहां भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) की एक रैली को संबोधित करते हुए विवादास्पद नागरिकता (संशोधन) विधेयक के संदर्भ में भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि इस बारे में दुष्प्रचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘यह केवल पूर्वोत्तर की बात नहीं है, बल्कि पूरे देश में रहने वाले सभी शरणार्थियों की बात है। असम में जिस तरह जनसांख्यिकी बदल रही है, वैसे में नागरिकता विधेयक के बगैर राज्य के लोग बड़े खतरे में पड़ जाएंगे।’’ भाजपा नेता ने दावा किया कि केवल चंद लोगों ने ही इस विधेयक का विरोध किया और उन्होंने भी इस मुद्दे पर विरोध नहीं किया बल्कि उन्होंने बस इस स्थिति का फायदा उठाने के लिए ऐसा किया। उन्होंने कहा, ‘‘अगप और अन्य सभी जो नागरिकता विधेयक का विरोध कर रहे हैं, हाल के तीन परिषद एवं पंचायत चुनाव में हार गए। असम के लोग शांति, विकास, नरेंद्र मोदी, सर्बानंद सोनोवाल और हिमंता बिस्वा सर्मा के साथ हैं। ’’ शाह ने असमी लोगों को सुरक्षा देने के लिए असम संधि के उपबंध छह को लागू करने के लिए केंद्र द्वारा उच्चाधिकार प्राप्त समिति के गठन और राज्य के छह मूल समुदायों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के लिए उठाए गए कदमों का भी उल्लेख किया।

जवानों की शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी : भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने रविवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकवादी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवानों की शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी, क्योंकि केंद्र में अब भाजपा सरकार है और वह पिछले कांग्रेस शासन के उलट सुरक्षा के किसी भी मुद्दे पर कोई समझौता नहीं करेगी। शाह ने कहा, ‘‘यह कायराना हरकत पाकिस्तानी आतंकवादियों ने की है। उनका (जवानों का) बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा, क्योंकि केंद्र में अब कांग्रेस सरकार नहीं है। हम किसी भी सुरक्षा मुद्दे पर कोई समझौता नहीं करेंगे।’’

भाषा
लखीमपुर (असम)


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