DGP नियुक्ति में नहीं चलेगी मनमर्जी : सुप्रीम कोर्ट
पुलिस महानिदेशकों की नियुक्ति संघ लोक सेवा आयोग के माध्यम से ही होगी। सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई 2018 में जारी गाइडलाइंस में बदलाव से इनकार कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट |
पांच राज्य अपने कानून के तहत डीजीपी की नियुक्ति चाहते थे। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब, केरल, पश्चिम बंगाल, हरियाणा और बिहार सरकार की ओर से डीजीपी के चयन एवं नियुक्ति के संबंध में स्थानीय कानून लागू करने की मांग करने वाली याचिकाएं खारिज कर दी।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि डीजीपी की नियुक्तियों के संबंध में पिछले निर्देश पुलिस अधिकारियों को राजनीतिक हस्तक्षेप से बचाने के लिए जनहित में जारी किए गए थे। अदालत ने पिछले साल 12 दिसंबर को पंजाब और हरियाणा के पुलिस महानिदेशकों का कार्यकाल 31 जनवरी तक के लिए बढ़ा दिया था। साथ ही अदालत पुलिस प्रमुख के चयन तथा नियुक्ति के बारे में राज्यों के अपने कानून लागू करने के अनुरोध पर सुनवाई के लिए सहमत हो गई थी।
पंजाब के पुलिस महानिदेशक सुरेश अरोड़ा और हरियाणा के पुलिस प्रमुख बीएस संधू को पिछले साल 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त होना था, लेकिन अब वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार 31 जनवरी को सेवानिवृत्त होंगे।
कई राज्य चाहते हैं कि पुलिस प्रमुखों के नामों की सूची तैयार करने में संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की मदद लेना राज्यों के लिए अनिवार्य करने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के आदेश में सुधार किया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल तीन जुलाई को देश में पुलिस सुधार के बारे में कई निर्देश दिए थे और नियमित पुलिस प्रमुखों की नियुक्ति के लिए उठाए जाने वाले कदमों को क्रमबद्ध किया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राज्यों को पुलिस प्रमुख के सेवानिवृत्त होने से कम से कम तीन महीने पहले नए पुलिस प्रमुख के बारे में वरिष्ठ अधिकारियों की सूची यूपीएससी को भेजनी होगी।
इसके बाद आयोग अपनी सूची तैयार करके राज्यों को सूचित करेगा, जो उस सूची में से किसी एक अधिकारी को पुलिस प्रमुख नियुक्त करेगा। पंजाब, हरियाणा, बिहार, केरल और पश्चिम बंगाल सरकार का कहना है कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के 2006 के फैसले के अनुरूप पुलिस प्रमुख की नियुक्ति की प्रक्रिया के बारे में पहले ही विस्तृत कानून तैयार कर लिया है। इसलिए उन्हें अपने कानून पर अमल करने की अनुमति दी जाए।
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