देश मोदी पर उंगली उठा रहा, राफेल पर जेपीसी जरूरी : राहुल

Last Updated 02 Jan 2019 08:35:34 PM IST

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को राफेल सौदे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अपने हमले में तेजी लाते हुए कहा कि पूरा देश उनपर उंगली उठा रहा है। उन्होंने सच को बाहर लाने के लिए सौदे की जांच संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से कराने की मांग की।


कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी

सत्तारूढ़ पार्टी के सदस्यों द्वारा नारेबाजी के बीच अपने वक्तव्य में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मुद्दे पर गोवा के एक मंत्री की बातचीत की तथाकथित रिकॉर्डिग चलाने की मांग की, जिससे लोकसभा में कांग्रेस और भाजपा सदस्यों के बीच तीखी नोकझोक शुरू हो गई।

फ्रांस से लड़ाकू विमान खरीदने के लिए विवादास्पद सौदे पर बहस की शुरुआत करते हुए उन्होंने प्रक्रिया, कीमत और संरक्षण को लेकर मोदी पर निशाना साधा और कहा, "राफेल की कहानी में कई छेद हैं।"

उन्होंने कहा, "मैंने सोचा दाल में कुछ काला है, लेकिन पूरी दाल ही काली है। हम जेपीसी की मांग करते हैं। इससे सच सामने आएगा। मोदी जी ने प्रक्रिया को नजरअंदाज करने का रास्ता अपनाया। उन्होंने एचएएल से करार छीन लिया। एक जेपीसी की सख्त जरूरत है।"

गांधी ने मोदी के मंगलवार के एक टीवी साक्षात्कार में उनके द्वारा दिए गए उस बयान को खारिज कर दिया, जिसमें प्रधानमंत्री ने कहा था कि "राफेल सौदे में आरोप सीधे मुझ पर नहीं, बल्कि सरकार पर है।"

गांधी ने कहा, "वह (मोदी) थके हुए, परेशान (साक्षात्कार में) दिखाई दे रहे थे। उन्होंने कहा कि मुझ पर किसी ने उंगली नहीं उठाई, लेकिन पूरा देश उनपर उंगली उठा रहा है।"

गांधी ने कहा कि एक समाचार रपट में कहा गया है कि रक्षा मंत्रालय की फाइल नोटिंग में जिक्र किया गया है कि प्रधानमंत्री को राफेल सौदे की बातचीत में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए था।

उन्होंने कहा, "मोदी को इसपर भी जवाब देना चाहिए।"

गांधी ने मोदी पर प्रत्येक विमान की कीमत में तीन गुणा वृद्धि करने और खरीदे गए विमानों की संख्या में कमी पर सहमति के बाद ऑफसेट अनुबंध एक निजी कंपनी को देने के लिए प्रक्रिया में फेरबदल करने का आरोप लगाया।

सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के संदर्भ में राहुल ने कहा कि शीर्ष अदालत ने कहा था कि जांच उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं है, उसने यह नहीं कहा था कि जेपीसी या संसदीय जांच नहीं होनी चाहिए। अदालत ने राफेल सौदे में जांच की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया था।

हंगामा उस वक्त शुरू हुआ, जब गांधी ने गोवा के एक मंत्री की रिकॉर्ड की गई बातचीत को सुनाने के लिए अपना मोबाइल फोन बाहर निकाला, जिसपर सत्तारूढ़ सदस्यों ने कड़ा विरोध दर्ज जताया। विरोध कर रहे सदस्यों में वित्तमंत्री अरुण जेटली भी शामिल थे। जेटली ने आरोप लगाया कि कीमत के मुद्दे पर फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों पर झूठ बोलने के बाद गांधी अब एक बातचीत को चलाने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि वह जानते हैं कि यह झूठी है।

नारेबाजी जारी रहने पर अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने गांधी से कथित बातचीत को प्रमाणित करने के लिए कहा और उनसे सख्त लहजे में कहा कि किसी भी रिकॉर्डिग को न चलाएं।

गांधी ने कहा, "ये बहुत डरे हुए हैं। अगर आप अनुरोध कर रही हैं तो मैं यह टेप नहीं चलाऊंगा, लेकिन टेप की बातचीत को पढ़ूंगा।"

जेटली ने बीच में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि गांधी जानते हैं कि यह झूठ है और वह इसे प्रमाणित करने से इंकार कर रहे हैं।

जेटली ने गांधी से कहा, "आप जानते हैं कि यह झूठ है।" उन्होंने कहा, "क्योंकि वह जानते हैं कि यह झूठ है..फिर भी लगातार झूठ बोल रहे हैं।" मंत्री ने मैक्रों पर गांधी के बयान का संदर्भ भी दिया और कहा कि यह झूठा और मनगढ़ंत है।

दोनों पक्षों के बीच तीखी नोकझोक जारी रहने के कारण अध्यक्ष ने सदन को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया।

अपने भाषण को जारी रखते हुए गांधी ने गोवा के मंत्री के हवाले से कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के पास राफेल सौदे की फाइल है।

उन्होंने कहा, "गोवा के मुख्यमंत्री ने कहा था कि राफेल सौदे की फाइलें मेरे घर पर हैं। गोवा के एक कैबिनेट मंत्री ने इसे प्रमाणित कर दिया है, जो भाजपा से ताल्लुक रखता है।"

सदन में मोदी की अनुपस्थिति का जिक्र करते हुए गांधी ने कहा, "प्रधानमंत्री अन्नाद्रमुक सांसदों के पीछे छिप रहे हैं। वह अपने कमरे में छिपे हुए हैं।"

गांधी ने कहा कि भारतीय वायुसेना को 126 लड़ाकू विमान चाहिए, लेकिन मोदी सरकार फ्रांस से केवल 36 विमान खरीद रही है।

उन्होंने पूछा, "नए सौदे में वायुसेना की 126 विमानों की जरूरत को 36 में किसने बदल दिया? 36 विमानों की खरीद में तर्क दिया जा रहा है कि उन्हें इसकी सख्त जरूरत है। क्यों अभी तक एक भी विमान हमारी जमीन पर नहीं उतरा है?"

गांधी ने आरोप लगाया कि पूरी प्रक्रिया को नजरअंदाज किया गया और तत्कालीन रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा था कि उन्हें नए सौदे के बारे में कोई जानकारी नहीं है।

उन्होंने कहा कि संप्रग ने प्रति विमान 526 करोड़ रुपये तय किए थे और 126 लड़ाकू विमान खरीदे जाने थे, लेकिन जब मोदी फ्रांस गए और फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद से मुलाकात की तो एक नया सौदा हुआ और कीमत 1,600 रुपये प्रति विमान हो गई।

उन्होंने कहा, "कीमत 526 करोड़ रुपये से 1,600 करोड़ रुपये क्यों हो गई?"

उन्होंने आरोप लगाया कि ओलांद ने कहा था कि अनुबंध को एचएएल से छीन गया और मोदी के कहने पर ऑफसेट अनुबंध एक निजी कंपनी को दिया गया।

उन्होंने कहा, "क्या यह बात सही है कि नई कीमत पर रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने आपत्ति जताई थी? क्या नई कीमत पर कोई आपत्ति है?"

उन्होंने कहा कि एचएएल पिछले 70 वर्षों से विमान बना रहा है और उसके पास लड़ाकू विमान को बनाने का व्यापक अनुभव है।



राहुल ने आरोप लगाया कि मोदी ने एक व्यक्ति की जेब में 30,000 करोड़ रुपये डाल दिए और दावा किया कि निजी कंपनी ने राफेल लड़ाकू विमान निर्माता दसॉ एविएशन द्वारा दिए गए पैसे से जमीन खरीदी है।

कांग्रेस नेता ने कहा कि फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने उनसे कहा है कि विमान की कीमत का खुलासा किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि मोदी ने राफेल मुद्दे पर केवल पांच मिनट बातचीत की और उनसे पूछे गए सवालों के जवाब नहीं दिए।

आईएएनएस
नई दिल्ली


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment