लोकसभा में आधार और अन्य संशोधन विधेयक-2018 पेश

Last Updated 02 Jan 2019 06:17:16 PM IST

लोकसभा में आधार और अन्य विधियां (संशोधन) विधेयक-2018’ पेश किया गया जिसमें आधार संख्या धारण करने वाले बालकों को 18 वर्ष की आयु पूर्ण करने पर अपनी आधार संख्या रद्द करने का विकल्प।


विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद

लोकसभा में आधार और अन्य विधियां (संशोधन) विधेयक-2018’ पेश किया गया जिसमें आधार संख्या धारण करने वाले बालकों को 18 वर्ष की आयु पूर्ण करने पर अपनी आधार संख्या रद्द करने का विकल्प देने, निजी अस्तित्वों द्वारा आधार के उपयोग से संबंधित आधार अधिनियम की धारा का लोप करने का प्रावधान है।

निचले सदन में विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने यह विधेयक पेश किया।  विधेयक पेश किए जाने का विरोध करते हुए तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय, कांग्रेस के शशि थरूर और आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन ने कहा कि यह प्रस्तावित कानून आधार से जुड़े उच्चतम न्यायालय के आदेश के खिलाफ है और निजता के अधिकार का भी हनन भी है।  

थरूर ने कहा कि यह विधेयक समयपूर्व है क्योंकि सरकार अब तक डेटा संरक्षण का कानून में अमल में नहीं ला सकी जो नागरिकों की निजता की सुरक्षा के लिए जरूरी है।  

कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने तीन सदस्यों की आपत्तियों को आधारहीन बताया और कहा कि यह विधेयक उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुरूप लाया गया और इससे आदेश का किसी तरह का उल्लंघन नहीं होता है।  

उन्होंने कहा कि इसमें निजता के अधिकार का भी कोई हनन नहीं होगा क्योंकि इसमें निजता को सुरक्षित रखा गया है।  

मंत्री ने कहा कि डेटा संरक्षण से जुड़ा विधेयक तैयार है और इसे जल्द लाया जाएगा।  

विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि आधार अधिनियम 2016 भारत में निवास करने वाले व्यक्तियों को सुशासन, विशिष्ट पहचान संख्या अनुदेशित करके ऐसी सुविधाओं और सेवाओं के कुशल, पारदर्शी और लक्षित परिदान के लिये तथा उससे संबंधित एवं अनुषंगिक विषयों का उपबंध करने के लिये किया गया था।   

वर्ष 2018 में 27 जुलाई को न्यायमूर्ति सेवानिवृत बी एन श्रीकृष्णा की अध्यक्षता वाली विशेषज्ञों की समिति ने प्रारूप व्यक्तिगत डाटा सुरक्षा विधेयक के साथ डाटा सुरक्षा से संबंधित विभिन्न मुद्दों के संबंध में मुक्त डिजिटल अर्थव्यवस्था : निजता संरक्षण, भारतीयों का सशक्तिकरण नामक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की और आधार अधिनियम में कुछ संशोधन सुझाए।   

उच्च्तम न्यायालय की संवैधानिक खंडपीठ ने न्यायमूर्ति के एस पुट्टास्वामी (सेवानिवृत) और अन्य बनाम भारतीय संघ एवं अन्य के निर्णय में 24 अगस्त 2017 को निजता को संविधान के अनुच्छेद 21 के अधीन मूल अधिकार घोषित किया गया है। इसके अतिरिक्त उच्चतम न्यायालय ने 26 सितंबर 2018 निर्णय द्वारा कुछ निर्वधनों एवं परिवर्तनों के साथ अधिनियम की संवैधानिक वैधता की पुष्टि करता है।   

इसमें कहा गया है कि 122 करोड़ से अधिक आधार संख्या जारी किये जाने तथा भारत सरकार, राज्य सरकारों एवं अन्य अस्तित्वों द्वारा विभिन्न प्रयोजनों के लिये पहचान के सबूत के रूप में आधार के वृहद उपयोग को ध्यान में रखते हुए आधार के प्रचालन के लिये विनियामक ढांचा होना जरूरी है। इसलिए प्राधिकरण के पास प्रवर्तन कार्रवाई करने के लिये विनियामक शक्तियां होनी चाहिए।   
 

  


इस विधेयक में प्रावधान किया गया है कि आधार संख्या धारण करने वाले बालकों को 18 वर्ष की आयु पूर्ण करने पर अपनी आधार संख्या रद्द करने का विकल्प होगा। अधिप्रमाणन या आफलाइन सत्यापन या किसी अन्य ढंग से भौतिक या इलेक्ट्रानिक रूप में आधार संख्या के स्वैच्छिक उपयोग के लिये उपबंध करना, आधार संख्या के आफलाइन सत्यापन का अधिप्रमाणन केवल आधार संख्या धारक की सूचित सहमति से किया जा सकता है। 

इसमें निजी अस्तित्वों द्वारा आधार के उपयोग से संबंधित आधार अधिनियम की धारा का लोप करने का प्रावधान है।

भाषा
नयी दिल्ली


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