जम्मू-कश्मीर विधानसभा भंग

Last Updated 22 Nov 2018 05:34:16 AM IST

जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने बुधवार की रात राज्य विधानसभा को भंग कर दिया।


जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक एवं पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती (फाइल फोटो)

जम्मू कश्मीर में तेजी से बदले राजनीतिक घटनाक्रम के तहत पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती द्वारा सरकार बनाने का दावा पेश किए जाने के कुछ ही देर बाद, जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने बुधवार की रात राज्य विधानसभा को भंग कर दिया और साथ ही कहा कि जम्मू कश्मीर के संविधान के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत यह कार्रवाई की गई है। एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गई है। 

इससे कुछ ही समय जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कांग्रेस और नेशनल कान्फ्रेंस के समर्थन से जम्मू कश्मीर में सरकार बनाने का दावा पेश किया था। मुफ्ती ने बुधवार को राज्यपाल सत्यपाल मलिक को लिखे पत्र में कहा था कि राज्य विधानसभा में पीडीपी सबसे बड़ी पार्टी है जिसके 29 सदस्य हैं।

उन्होंने लिखा, ‘आपको मीडिया की खबरों में पता चला होगा कि कांग्रेस और नेशनल कान्फ्रेंस ने भी राज्य में सरकार बनाने के लिए हमारी पार्टी को समर्थन देने का फैसला किया है। नेशनल कान्फ्रेंस के सदस्यों की संख्या 15 है और कांग्रेस के 12 विधायक हैं। अत: हमारी सामूहिक संख्या 56 हो जाती है।’

महबूबा ने अपने पत्र में कहा, ‘चूंकि इस समय मैं श्रीनगर में हूं, इसलिए मेरा आपसे तत्काल मुलाकात करना संभव नहीं होगा और यह आपको इस बाबत सूचित करने के लिए है कि हम जल्द ही राज्य में सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए आपकी सुविधानुसार मिलना चाहेंगे।’ बाद में, एक ट्वीट में महबूबा ने कहा कि राजभवन में स्थित फैक्स मशीन काम नहीं कर रही है।

उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ‘यह पत्र राजभवन भेजने की कोशिश कर रही हूं। हैरत है कि फैक्स प्राप्त नहीं हो पा रहा है। राज्यपाल से फोन पर संपर्क करने की कोशिश की। उपलब्ध नहीं हैं। आशा है कि आप(जम्मू कश्मीर के राज्यपाल) इसे देखेंगे।’ उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘यह पत्र मेल के जरिए भी भेज रही हूं।’

इस बीच उमर अब्दुल्ला ने एक ट्वीट में कहा, वह पिछले पांच माह से विधानसभा भंग करने की मांग कर रहे थे। लेकिन आज के तेजी से बदले घटनाक्रम में जिस तरह राज्यपाल ने विधानसभा भंग की वह चौंकाने वाला जरूर है। इससे पहले जब कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद से महबूबा को सरकार बनाने में मदद करने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा था कि ऐसा एक प्रस्ताव आया जरूर है, लेकिन इस पर जो भी फैसला होगा वो कांग्रेस और नेकां की कोर कमेटी की बृहस्पतिवार को होने वाली बैठक में ही किया जाएगा।

जम्मू कश्मीर में भाजपा द्वारा समर्थन वापस लिए जाने के बाद पीडीपी-भाजपा गठबंधन टूट गया था जिसके बाद 19 जून को राज्य में छह महीने के लिए राज्यपाल शासन लगा दिया गया था। राज्य विधानसभा को भी निलंबित रखा गया था ताकि राजनीतिक पार्टियां नई सरकार गठन के लिए संभावनाएं तलाश सकें।

सहारा न्यूज ब्यूरो
श्रीनगर/जम्मू


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