मोदी को क्लीन चिट के खिलाफ याचिका पर 19 को सुनवाई
2002 में गोधरा कांड के बाद गुजरात में हुए दंगों के सिलसिले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को क्लीन चिट के खिलाफ याचिका पर 19 नवम्बर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी।
सुप्रीम कोर्ट |
उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि 2002 में गोधरा कांड के बाद गुजरात में हुए दंगों के सिलसिले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को क्लीनचिट देने के विशेष जांच दल के निर्णय को चुनौती देने वाली जाकिया एहसान जाफरी की याचिका पर वह 19 नवंबर को सुनवाई करेगा।
मोदी 2002 में गुजरात के मुख्यमंत्री थे। पूर्व सांसद एहसान जाफरी की विधवा जाकिया ने विशेष जांच दल (एसआईटी) के फैसले के खिलाफ उनकी याचिका खारिज करने के गुजरात उच्च न्यायालय के पांच अक्टूबर, 2017 के निर्णय को चुनौती दी है। इन दंगों में एहसान जाफरी भी मारे गए थे। न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने मंगलवार को कहा कि इस याचिका पर 19 नवंबर को सुनवाई की जाएगी क्योंकि उन्होंने अभी तक इसका विस्तार से अवलोकन नहीं किया है। संक्षिप्त सुनवाई के दौरान जाफरी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सी यू सिंह ने कहा कि याचिका में नोटिस जारी किए जाने की आवश्यकता है क्योंकि यह 27 फरवरी 2002 से मई 2002 के बीच की अवधि के दौरान बड़े षडयंत्र के पहलू से जुड़ा हुआ है।
उन्होंने कहा कि मामले में सुनवाई न्यायाधीश के समक्ष एसआईटी द्वारा दायर क्लोजर रिपोर्ट में क्लीनचिट दी गयी। इसके विरोध में याचिकाकर्ता ने याचिका दायर की लेकिन मजिस्ट्रेट ने प्रमाणित तथ्यों पर विचार किए बिना ही उसे खारिज कर दिया। एसआईटी ने आठ फरवरी, 2012 को मामला बंद करने की अपनी रिपोर्ट में नरेन्द्र मोदी तथा 63 अन्य को क्लीन चिट देते हुये कहा था कि उनके खिलाफ मुकदमा चलाने योग्य कोई साक्ष्य नहीं है। इन लोगों में कई वरिष्ठ सरकारी अधिकारी भी शामिल थे। पीठ ने कार्यालय रिपोर्ट की टिप्पणियों पर भी गौर किया कि याचिका को मामले में लंबित आपराधिक अपीलों के साथ संलग्न किया जाना चाहिए। गुजरात सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सी एस वैद्यनाथन ने इस सुझाव का विरोध किया और कहा कि यह एक अलग मामला है और इसे आपराधिक अपीलों के साथ संलग्न नहीं किया जाना चाहिए।
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