सरकार पर कर्ज के भारी दबाव से रुका भारत की स्वायत्त रेटिंग में सुधार: फिच
वेडिट रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग ने आज कहा कि सरकार पर कर्ज के भारी दबाव के कारण भारत की रेटिंग में सुधार रुक गया है.
रुका भारत की स्वायत्त रेटिंग में सुधार : फिच (फाइल फोटो) |
फिच का यह बयान ऐसे समय आया है जब एक ही दिन पहले पेश बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राजकोषीय घाटे का लक्ष्य सकल घरेलू उत्पार्द जीडीपी के 3.2 प्रतिशत से बढाकर 3.5 प्रतिशत किया है.
संसद में कल पेश बजट में आर्थिक जरूरतों तथा सामाजिक बेहतरी के लिए कई नीतिगत कदमों की घोषणा की गयी. इनमें से कृषि आय में वृद्धि तथा नये मेडिकल कॉलेज बनाने समेत महत्वाकांक्षी चिकित्सा बीमा योजना आदि शामिल हैं.
फिच रेटिंग के निदेशक एवं प्राथमिक स्वायत्त विश्लेषक भारती थॉमस रूक्माकर ने कहा, ‘‘यदि अच्छे से वियान्वयन किया गया तो इन क्षेत्रों में किया गया खर्च मतदाताओं के बडे वर्ग तक पहुंचेगा जो कि आगामी चुनाव के लिहाज से महत्वहीन नहीं होगा.’’
उन्होंने कहा कि सरकार की कमजोर वित्तीय स्थिति ने भारत की स्वायत्त रेटिंग में सुधार में रुकावट डाला है. सरकार के ऊपर जीडीपी के करीब 68 प्रतिशत के बराबर ऋण का बोझ है और यदि राज्यों को शामिल किया जाए तो राजकोषीय घाटा जीडीपी का 6.5 प्रतिशत है.
रूक्माकर ने कहा, ‘‘सरकार ने राजकोषीय घाटे को जीडीपी के तीन प्रतिशत तक सीमित रखने के लक्ष्य को 2020-21 तक के लिए टाल दिया है जो इसके कार्यकाल से भी आगे है.’’
फिच ने पिछले साल मई में कमजोर वित्तीय स्थिति का हवाला देकर भारत की स्वायत्त रेटिंग को बीबीबी पर स्थिर रखा था. यह स्थिर परिदृश्य के साथ निवेश योग्य निम्नतम श्रेणी है.
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