बलात्कार पीडित बच्ची को एम्स स्थानांतरित कराया गया, एम्स ने सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट पेश की

Last Updated 01 Feb 2018 12:57:41 PM IST

केंद्र ने आज उच्चतम न्यायालय को बताया कि आठ माह की बलात्कार पीडिता को बेहतर इलाज के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थार्न एम्सी में स्थानांतरित कराया गया है.


फाइल फोटो

राजधानी में आठ महीने की बच्ची के साथ हुए दुष्कर्म के मामले में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डॉक्टरों ने आज उच्चतम न्यायालय में रिपोर्ट पेश की.

डॉक्टरों की टीम ने मामले की सुनवाई करने वाले उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एएम खानविल्कर तथा न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की खंडपीठ के समक्ष रिपोर्ट पेश की.

तीन डॉक्टरों की एक टीम ने कल अस्पताल का दौरा किया था। डॉक्टरों की टीम में डॉ राजेश कुमारी, डॉ देवेन्द्र कुमार यादव तथा डॉ अशोक के देवरारी शामिल थे.

रिपोर्ट में कहा गया है कि बच्ची को बेहतर इलाज के लिए एम्स बाल चिकित्सा विभाग के सर्जरी वार्ड में भर्ती किया गया है। इसके अलावा बच्ची के परिजनों को 75 हजार रुपये तत्काल राहत रकम भी दिए गए हैं.

उच्चतम न्यायालय में मामले की अगली सुनवाई 12 फरवरी को होगी।

कानून अधिकारियों ने न्यायालय को बताया कि एक प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है और आरोपी न्यायिक हिरासत में है.

उच्चतम न्यायालय ने बच्ची से बलात्कार की घटना पर कल गंभीर चिन्ता जताई थी और एम्स के दो चिकित्सकों को अस्पताल में बच्ची से मिलने तथा उसकी स्थिति का आकलन करने के निर्देश दिए थे.

न्यायालय ने डीएलएसए के एक सदस्य को भी चिकित्सकों के साथ जाने के लिए कहा था.

पीठ ने कहा था, ‘‘हम बच्ची के स्वास्थ्य को लेकर बहुत चिंतित हैं.’’ इसके बाद केंद्र ने न्यायालय को आस्त किया कि बच्ची को सबसे अच्छा इलाज मुहैया कराया जाएगा.

वकील अलख आलोक श्रीवास्तव द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि बच्ची की बाहरी और अंदरुनी चोटें बहुत गंभीर हैं और उसकी सर्जरी तीन घंटे तक चली.

याचिका में कहा गया है, ‘‘अभी वह बेहद गंभीर और कष्ट की स्थिति मेंंिजदगी से संघर्ष करते हुए दिल्ली के एक स्थानीय अस्पताल में भर्ती है. पीडित बच्ची बहुत गरीब परिवार से है. उसके पिता मजदूर हैं और उसकी मां घरेलू सहायिका के तौर पर काम करती है.’’


याचिका में पीडतिा के माता-पिता के लिए 10 लाख रुपये के मुआवजे और ये दिशा निर्देश देने की मांग की गई है कि बाल यौन अपराध संरक्षण कानूर्न पोक्सोी के तहत दर्ज मामलों की जांच तथा सुनवाई प्राथमिकी दर्ज होने के छह महीने की अवधि के भीतर पूरी की जाए.

पुलिस ने बताया कि आरोपी ने शराब के नशे में बच्ची से दुष्कर्म करने का जुर्म कबूल कर लिया है.

 

 

भाषा/वार्ता


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