पर्वतारोही अरुणिमा ने जीती कानूनी जंग, रेलवे देगा मुआवजा

Last Updated 30 Jan 2018 12:53:50 PM IST

ट्रेन हादसे में अपना पैर गंवाने के बाद पिछले सात साल से मुआवजे के लिए लड़ रहीं विश्व रिकॉर्डधारी पर्वतारोही अरुणिमा सिन्हा को आखिरकार कानूनी लड़ाई में जीत मिल गयी है.


विश्व रिकॉर्डधारी पर्वतारोही अरुणिमा सिन्हा (फाइल फोटो)

रेलवे दावा अधिकरण की लखनऊ पीठ ने रेलवे को उन्हें क्षतिपूर्ति की रकम ब्याज सहित अदा करने का आदेश दिया है.

अरुणिमा के वकील जानकी शरण पाण्डेय ने बताया कि रेलवे दावा अधिकरण की लखनऊ पीठ ने रेलवे को आदेश दिया है कि वह वादी को 7.20 लाख रुपये मुआवजे के तौर पर दे. यह धनराशि एक जनवरी 2017 से छह प्रतिशत ब्याज पर देनी होगी.

उन्होंने बताया कि अधिकरण ने यह आदेश 22 दिसम्बर, 2017 को जारी किया था, मगर उन्हें इसकी प्रति हाल ही में प्राप्त हुई है.

अधिकरण के फैसले पर खुशी जाहिर करते हुए अरुणिमा ने इसे देर आये, दुरुस्त आये जैसा करार दिया. पर्वतारोही ने कहा कि रेलवे ने उन्हें अपना वैध यात्री मानने से ही इनकार कर दिया था और कहा था कि वह अपनी गलती से ट्रेन से नीचे गिरी थी. उसके इस दावे के विरोध में सभी सुबूत पेश होने के बाद रेलवे ने अपनी गलती स्वीकार कर ली.

मालूम हो कि वॉलीबॉल खिलाड़ी रहीं अरुणिमा 11 अप्रैल 2011 को पद्मावत एक्सप्रेस से दिल्ली जा रही थीं. रास्ते में बरेली स्टेशन से पहले कुछ बदमाशों ने उनसे लूटपाट की कोशिश की थी, जिसका विरोध करने पर उन्हें ट्रेन से नीचे फेंक दिया था. पटरी पर गिरने की वजह से दूसरी तरफ से आ रही ट्रेन की चपेट में आकर उनका बायां पैर बुरी तरह जख्मी हो गया था.

अरुणिमा को दिल्ली एम्स ले जाया गया था, जहां उनका पैर काटना पड़ा था.

तमाम निराशा के बीच मई 2013 में अरुणिमा ने कृत्रिम पैर के सहारे माउंट एवरेस्ट फतह करके दुनिया को चौंका दिया. ऐसा करने वाली वह दुनिया की पहली महिला पर्वतारोही भी हैं. उनकी इस उपलब्धि पर उन्हें पद्मश्री से नवाजा गया था.
 

भाषा


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