गणतंत्र दिवस: राजपथ पर सैन्य शक्ति, सांस्कृतिक धरोहर और आसियान की नयी इबारत

Last Updated 26 Jan 2018 09:14:19 AM IST

आज पूरा देश 69वां गणतंत्र दिवस मना रहा है. देश की लगातार बढ़ती सैन्य शक्ति, सांस्कृतिक धरोहर और विविधता में एकता की बहुरंगी छटा के साथ-साथ गणतंत्र दिवस परेड में दस आसियान देशों की संस्कृति और सभ्यता की मनोहारी छटा भी दिखायी दी.




गणतंत्र दिवस समारोह की इस बार एक बड़ी विशेषता यह थी कि पहली बार मुख्य अतिथि के तौर पर दस देशों के राष्ट्राध्यक्ष या शासनाध्यक्ष मौजूद थे. ये सभी सलामी मंच पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के साथ बैठे थे. आमतौर पर गणतंत्र दिवस समारोह में एक ही विदेशी मुख्य अतिथि को आमंत्रित किया जाता है.

चाक चौबंद सुरक्षा व्यवस्था के बीच हुई इस भव्य परेड का मुख्य आकर्षण सीमा सुरक्षा बल की 113 जांबाज कमांडों के मोटरसाइकिल पर रोंगटे खड़े कर देने वाले और हैरतअंगेज कारनामे रहे. इसके अलावा भारत के स्कूली बच्चों द्वारा आसियान देशों की वेशभूषा में वहां के लोक नृत्यों की धूम, देश में ही बनाये जा रहे विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत और उस पर तैनात मॉरकोस कमांडो, पहली बार समारोह में शामिल हुए रूद्र लड़ाकू हेलिकॉप्टर तथा लड़ाकू विमानों की करतबबाजी भी आकर्षण का केन्द्र रहे.

सुबह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तीनों सेनाओं के प्रमुखों की मौजूदगी में इंडिया गेट स्थित पवित्र अमर जवान ज्योति पर पुष्पांजलि अर्पित कर कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से शहीदों को श्रद्धांजलि दी.

इसके बाद प्रधानमंत्री और उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों और तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने राष्ट्रपति और तीनों सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर रामनाथ कोविंद का स्वागत किया. राष्ट्रपति के सलामी मंच पर 21 तोपों की सलामी लेने के बाद सुबह दस बजे विजय चौक से भव्य परेड आरंभ हुई जिसका लगभग डेढ घंटे बाद लाल किले पर समापन हुआ.

परेड के शुरू में वायु सेना के पांच एम आई-17 हेलिकॉप्टरों ने फ्लाईपास्ट किया और गुलाब की पंखुड़ियों की बरसात की. इन पर राष्ट्रीय ध्वज, तीनों सेनाओं के ध्वज और आसियान का ध्वज लहरा रहा था. इसके बाद परेड के कमांडर और दिल्ली क्षेत्र के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल असित मिस्त्री और चीफ ऑफ स्टाफ मेजर जनरल राजपाल पूनिया की सलामी के साथ परेड का विधिवत आगाज किया. उनके पीछे खुली जीप में दो परमवीर चक्र और तीन अशोक चक्र विजेता खुली जीप में राजपथ से निकले.

इसके बाद भारतीय सेना के जवान आसियान के ध्वज के साथ साथ सभी दस मेहमान आसियान देशों ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, मलेशिया, फिलीपीन्स, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम के ध्वज लेकर राजपथ से गुजरे.

इसके बाद देश की सैन्य ताकत के प्रतीक तीन टी-90 टैंक, दो ब्रह्मोस और दो आकाश मिसाइल प्रणाली और भीष्म टैंक देशवासियों को सीमाओं की सुरक्षा के प्रति आश्वस्त करते नजर आये. वायु सेना के लड़ाकू हेलिकॉप्टर रूद्र पहली बार राजपथ पर गर्जन करते नजर आये. परेड में सेना का प्रतिनिधित्व 61 केलवरी के घुड़सवारों, सात मकैनाइज्ड कॉलम, 6 मार्चिंग दस्तों और मार्चिंग बैंड ने किया. इनमें पंजाब रेजिमेंट, मद्रास रेजिमेंट, मराठा लाइट इन्फेंट्री, डोगरा रेजिमेंट, रेजिमेंट ऑफ आर्टिलरी और लद्दाख स्काउट शामिल थे.

वायु सेना की झांकी में ‘स्वदेशीकरण की ओर बढ़ती वायु सेना’ की तस्वीर दिखाई गयी जिसमें देश में ही बने लड़ाकू विमान तेजस, रुद्र हेलिकॉप्टर, अरुद्र रडार और आकाश मिसाइल का प्रदर्शन किया गया था. यह पहला मौका है जब रुद्र हेलिकॉप्टर को गणतंत्र दिवस परेड में शामिल किया गया है. पूर्व सैनिकों की झांकी में वायु सेना और देश के गौरव रहे ‘मार्शल ऑफ द एयर फोर्स’ अर्जन सिंह को भी दिखाया था. साथ ही देश की नारी शक्ति की झलक पेश करते हुए वायु सेना की तीन अधिकारियों को भी झांकी में जगह दी गयी.

वायु सेना के मार्चिंग दस्ते और बैंड ने भी राजपथ पर समा बांध दिया. गणतंत्र दिवस परेड में इस बार वायु सेना के 38 लड़ाकू विमानों, हेलिकॉप्टरों और मालवाहक विमानों ने राजपथ पर गर्जन कर आसमान में देश की शक्ति का प्रदर्शन किया.

नौसेना की झांकी में ‘मेक इन इंडिया’ पर जोर देते हुए देश में ही बनाये जा रहे पहले विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत की झलक दिखाई दी जिस पर अत्याधुनिक हथियारों के साथ-साथ देश के समुद्री प्रहरी मार्कोस कमांडों भी तैनात थे. साथ ही नौसेना में महिला सशक्तीकरण का प्रतीक बनकर उभरी नाविका सागर परिक्रमा की टीम की सांकेतिक उपस्थिति भी दिखायी दी. इस अभियान के तहत नौसेना की छह जांबाज अधिकारी देश में ही बनायी गयी नौका आईएनएस तारिणी में समुद्र के रास्ते दुनिया का चक्कर लगाने के अभियान पर निकली हुई हैं.

देश के प्रमुख रक्षा अनुसंधान संगठन डीआरडीओ की झांकी में निर्भय मिसाइल प्रणाली और अश्विनी रडार प्रणाली की ताकत का नमूना भी परेड में दिखाई दिया.

अर्धसैनिक बलों में लंबे समय के बाद आईटीबीपी के दस्ते ने भी इस बार राजपथ पर दस्तक दी. वैसे परेड का आकर्षण सीमा सुरक्षा बल की 113 जांबाज महिला कमांडो टीम रही जिनके हैरतअंगेज और रोंगटे खड़े कर देने वाले करतबों को देखकर दर्शकों ने दांतों तले उंगली दबा ली. इससे पहले ये करतबबाजी डेयर डेविल के नाम से प्रसिद्ध पुरुष कमांडो करते थे लेकिन इस बार इन महिला कमांडों ने 350 सीसी की 26 रॉयल एनफील्ड मोटरसाइकों पर सवार होकर नारी शक्ति और अपने साहस और वीरता का परिचय दिया. उन्होंने एरोबेटिक्स और कलाबाजी का भी अद्भुत नमूना पेश किया.

दिल्ली पुलिस के मार्चिंग दस्ते और बैंड ने भी राजपथ पर अपने कौशल का परिचय दिया. सीमा सुरक्षा बल के ऊंटों पर सवार दस्ता भी आकर्षण का केन्द्र रहा. राष्ट्रीय कैडेट कोर के कैडेटों के दस्ते राजपथ पर अनुशासन का आदर्श प्रस्तुत करते हुए कदमताल करते नजर आये.

ऑल इंडिया रेडियो, विदेश मंत्रालय द्वारा बनायी गयी आसियान की झांकी, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, त्रिपुरा, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर, महाराष्ट्र, लक्षद्वीप, छत्तीसगढ़, केरल, असम, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, गुजरात की झांकियों ने राजपथ पर देश की संस्कृति की मनोहारी छटा पेश की. इसके साथ ही आईटीबीपी, आदिवासी मामलों, युवा और खेल मामलों, आईसीएआर, आयकर विभाग और केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग की झांकी भी परेड में दिखाई दी.

झांकियों के बाद राष्ट्रीय वीरता पुरस्कारों से सम्मानित बहादुर बच्चे खुली जीप में दर्शकों का अभिवादन करते हुए राजपथ से गुजरे.

चटकीली और रंग-बिरंगी पोशाकों में पांच स्कूलों के छात्रों ने अपनी रंगारंग लोक नृत्य प्रस्तुतियों से राजपथ पर धूम मचा दी. इन बच्चों ने सलामी मंच के सामने आसियान देशों के नेताओं के सामने उनके देशों की पारंपरिक पोशाकों में वहां के नृत्य और कला पर आधारित कार्यक्रम पेश कर सतरंगी छटा बिखेर दी. इनकी रंग बिरंगी पोशाकों से ऐसा लग रहा था जैसे समूचा राजपथ रंग बिरंगे फूलों की पंखुड़ियों से नहा गया है.

सशस्त्र सेनाओं के बैंडों ने दे शिवा वर मोहे, हम हैं सीमा सुरक्षा बल, जोश भरा है सीने में, सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा और दिल्ली पुलिस के गान की धुन बजायी. राष्ट्रीय कैडेट कोर के बैंडों ने कदम-कदम बढ़ाये जा, सारे जहां से अच्छा की धुन बजायी वहीं राष्ट्रीय सेवा योजना के बैंड ने केसरिया बाना की धुन से लोगों को मां मुग्ध कर दिया.

परेड के समापन से पहले वायु सेना के लड़ाकू विमानों ने अपने हैरतअंगेज करतबों से रोमांच पैदा कर दिया. सबसे विशालकाय मालवाहक विमान सी-17 भी दो सुखोई विमानों के साथ अपनी ताकत और क्षमता का अहसास कराता नजर आया. देश में ही बने लड़ाकू विमान तेजस के साथ-साथ जगुआर और मिग लड़ाकू विमानों ने अपने कौशल और करतबबाजी से सबका मन मोह लिया. अंत में हर बार की भांति सुखोई-30 विमान ने आकाश को चीरते हुए वर्टिकल चार्ली करतब का नमूना पेश कर दर्शकों को रोमांच से सरोबार कर दिया.

परेड के समापन पर बड़ी संख्या में शांति के प्रतीक रंग बिरंगे गुब्बारे छोड़े गये जिनसे राजपथ का आकाश पट गया.

परेड के लिए राजधानी में सुरक्षा के चाक चौबंद इंतजाम किये गये थे और जमीन से लेकर आकाश तक हर गतिविधि पर नजर रखी जा रही थी. इसके लिए 50 हजार से अधिक सुरक्षा बलों को तैनात किया गया था. पड़ोसी राज्यों से आने वाले वाहनों पर भी कड़ी नजर रखी जा रही थी और परेड के आस-पास की इमारतों की छतों पर शार्प शूटर तैनात किये गये थे.

 

वार्ता


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