चीन की नकेल कसने की तैयारी

Last Updated 26 Jan 2018 06:43:36 AM IST

भारत के गणतंत्र दिवस पर दस आसियान नेताओं की मौजूदगी जहां वि में भारत के बढ़ते दमखम का प्रतीक है वहीं दक्षिण पूर्व एशिया में ड्रैगन की मुश्क कसने की तैयारी भी है.


चीन की नकेल कसने की तैयारी

गौरतलब है कि आज के दिन ही भारत- आसियान संबंधों की रजत जयंती भी है. कूटनीतिक दृष्टि से देखा जाए तो दस आसियान नेताओं को एक साथ आमंत्रित करना दक्षिण पूर्व एशिया में चीन की बढ़ती दखलंदाजी पर लगाम लगाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सोंचा समझा दांव है.

इस क्षेत्र में चीन का बढ़ता प्रभाव सामरिक दृष्टि से भारत के लिए खतरे की घंटी है जिसे रोंकना मोदी की पहली प्राथमिकता है.

भारत की कोशिश है कि इंडो पैसिफिक क्षेत्र में ज्यादा सामरिक साझेदारी तथा समुद्री सहयोग कायम किया जाए जिससे कि चीन की विस्तारवादी रणनीति पर अंकुश लगाया जा सके.

आसियान के कई देशों वियतनाम, फिलिपींस, मलयेशिया और ब्रूनेई का दक्षिण चीन सागर में चीन के साथ समुद्री सीमा को लेकर अक्सर टकराव बना रहता है. ऐसे में भारत के लिए यह खास मौका है कि वह इस मुद्दे पर चीन के सामने अपने को संतुलन बनाने वाली ताकत के रूप में पेश कर सके.

उल्लेखनीय है कि दक्षिण पूर्व एशिया में ड्रैगन को घेरने की बुनियाद तो प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले साल मनीला में हुए आसियान सम्मेलन में क्षेत्रीय सुरक्षा ढांचे की बात कह कर कर डाल दी थी. यह क्षेत्रीय सुरक्षा ढांचा भारत और आसियान दोनो के लिये महत्वपूर्ण है.

पिछले दो दिन में आसियान नेताओं के साथद्विपक्षीय बैठकों में मोदी का जोर इसी मुद्दे पर रहा और इस पर आसियान नेताओं का पूरा साथ भारत को मिलना बड़ी कूटनीतिक जीत है.

प्रतीक मिश्र
सहारा न्यूज ब्यूरो


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