जज लोया मौत मामला: सभी मामलों की अब सिर्फ सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई

Last Updated 22 Jan 2018 03:11:02 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने बंबई हाई कोर्ट में लंबित सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ कांड की सुनवाई कर रहे विशेष सीबीआई न्यायाधीश बी एच लोया की 2014 में रहस्यमय परिस्थितियों में मौत की निष्पक्ष जांच के लिये दायर दो याचिकायें आज अपने यहां स्थानांतरित कर ली.


सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने संबंधित पक्षों से कहा कि लोया की मृत्यु से संबंधित वे सारे दस्तावेज जो अभी तक दाखिल नहीं किये गये हैं, उनकी विवरणिका पेश की जाये. कोर्ट इन दस्तावेज का, सुनवाई की अगली तारीख दो फरवरी को अवलोकन करेगा.

पीठ ने दो याचिकाओं में उठाये गये मुद्दों को ‘गंभीर’ बताते हुये कहा, ‘‘हमें सारे दस्तावेज बहुत ही गंभीरता से देखने चाहिए.’’

इस बीच, पीठ ने सभी हाई कोर्टों से कहा कि लोया की मौत के संबंध में दायर किसी भी याचिका पर वे विचार नहीं करें.

इन याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान पीठ उस समय नाराज हो गयी जब बंबई लायर्स एसोसिएशन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का नाम लेते हुये आरोप लगाया कि सब कुछ उन्हें को बचाने के लिये किया गया है. इस एसोसिएशन ने ही बंबई हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है.

इस मामले में महाराष्ट्र सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे के कड़े प्रतिवाद पर विचार के दौरान ही पीठ ने इस पर कड़ी आपत्ति करते हुये कहा, ‘‘आज की स्थिति के अनुसार यह स्वाभाविक मौत है. फिर आक्षेप मत लगाईये.’’

सुनवाई के दौरान एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता इन्दिरा जयसिंह ने संभावित भावी आदेश का निष्कर्ष निकालते हुये कहा कि शीर्ष अदालत इस मामले में मीडिया पर अंकुश लगा सकता है.

इस पर प्रधान न्यायाधीश ने अपनी नाराजगी वयक्त की और कहा, ‘‘मेरे प्रति यह न्याय संगत नहीं है. आप ऐसा नहीं कर सकतीं.’’ इसके साथ ही उन्होंने इन्दिरा जयसिंह से कहा कि वह अपने शब्द वापस लें और इसके लिये माफी मांगे. इन्दिरा जयसिंह ने अपना बयान वापस लेने के साथ ही क्षमा याचना कर ली.

इससे पहले, न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने इन याचिकाओं की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था और कहा कि इन्हें उचित पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाये. ये याचिकायें कांग्रेस के तहसीन पूनावाला और महाराष्ट्र के पत्रकार बी एस लोने ने दायर की हैं.

इस आदेश के बाद ही दोनों याचिकायें आज प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सूचीबद्ध हुयीं थीं.

विशेष सीबीआई न्यायाधीश बी एच लोया की एक दिसंबर, 2014 को उस समय अचानक हृदयगति रूक जाने से मृत्यु हो गयी थी जब वह अपने एक सहयोगी न्यायाधीश की पुत्री के विवाह में शामिल होने गये थे.

शीर्ष अदालत के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ ने 12 जनवरी की प्रेस कांप्रेंस में जिन विषयों को उठाया था उसमे लोया का मामला भी शामिल था. 

भाषा


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