माकपा की केंद्रीय समिति ने कहा, कांग्रेस के साथ कोई गठबंधन नहीं

Last Updated 22 Jan 2018 02:06:48 AM IST

मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की केंद्रीय समिति ने रविवार को बहुमत से अपने मसौदे के राजनैतिक संकल्प में कांग्रेस के साथ किसी भी तरह के चुनावी गठबंधन से इनकार कर दिया, हालांकि महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि अंतिम निर्णय अप्रैल माह में हैदराबाद में आयोजित पार्टी सम्मेलन में लिया जाएगा.


माकपा महासचिव सीताराम येचुरी कोलकाता में प्रेस कांफ्रेंस करते हुए.

उन्होंने दोहराते हुए कहा कि पार्टी का मुख्य काम भाजपा सरकार को केंद्र से और उसकी नीतियों को पराजित करना है, जिन्होंने भारत और उसके लोगों पर 'अप्रत्याशित हमलों' को लागू किया और बेवजह बोझ बढ़ाया. येचुरी ने कहा कि चुनावी रणनीति का निर्णय चुनावों के समय राज्यों द्वारा होगा.

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खतरे से निपटने के लिए, केंद्रीय समिति ने सभी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक ताकतों से एक साथ जुटने का आह्वान किया. केंद्रीय समिति ने रविवार को अपना तीन दिवसीय सत्र संपन्न किया है.

उन्होंने कहा, "केंद्रीय समिति द्वारा अपनाए गए मसौदा राजनैतिक संकल्प के अनुसार 55-33 वोटों के साथ उचित चुनाव रणनीतियों का प्रयोग किया जाएगा, जिससे भाजपा के खिलाफ लोकप्रिय वोटों को इकठ्ठा करना सुनिश्चित किया जा सकेगा."

कांग्रेस के साथ गठबंधन करने के संबंध में पूछे गए सवाल पर येचुरी ने कहा, "पोलित ब्यूरो के मसौदे के संशोधित रूप को केंद्रीय समिति ने अपनाया है. मसौदे के अनुसार, कांग्रेस के साथ कोई आपसी समझ या चुनावी गठबंधन नहीं होगा."

उन्होंने कहा, "2002 के बाद से, हमने हमेशा कहा है कि कांग्रेस के साथ कोई चुनावी मोर्चा या गठबंधन नहीं होगा, क्योंकि वह भारतीय शासक वर्गो के हित का प्रतिनिधित्व करती है."

पिछले साल पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान माकपा नीत वाम मोर्चा द्वारा कांग्रेस के साथ चुनावी गठबंधन के बारे में याद दिलाने पर येचुरी ने कहा कि चुनावी रणनीतियां चुनाव रणनीतियां होती हैं, लेकिन यहां पर लिया गया राजनीतिक संकल्प अगले तीन वर्षो के लिए पार्टी की राजनीतिक और रणनीतिक नीति का निर्धारण करेगा जो पार्टी कांग्रेस द्वारा अंतिम निर्णय के आधार पर होगा.



पार्टी के आंतरिक सूत्रों ने कहा कि केंद्रीय समिति के प्रस्ताव ने पार्टी के पूर्व महासचिव प्रकाश करात और उनके वफादारों की एक और जीत तय कर दी है. यह सभी कांग्रेस की नव-उदारवादी और पूंजीवादी नीतियों के प्रति स्नेह के कारण पार्टी के साथ किसी भी गठबंधन का सख्ती से विरोध कर रहे हैं.

दूसरी ओर, येचुरी और उनके समर्थक भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस के साथ संभावित चुनावी गठजोड़ कर गठबंधन की वकालत कर रहे हैं. येचुरी के पास पश्चिम बंगाल में भारी बहुमत है.

केरल और त्रिपुरा इकाइयों ने इस मुद्दे पर करात का साथ दिया है.

पार्टी करात और येचुरी समूह के रूप में दो अलग-अलग धड़ो में बंट गई है.

पिछले साल बंगाल में दोनों पार्टियों ने एक सामरिक गठबंधन बनाया था, जिसमें माकपा पोलित ब्यूरो में करात समर्थक नेताओं का वर्चस्व देखने को मिला था. करात समर्थक नेताओं ने राज्य की पार्टी इकाई की यह कहते हुए निंदा की थी कि यह फैसला केंद्रीय समिति के अनुरूप नहीं है.

 

 

आईएएनएस


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