चारा घोटाले में लालू समेत 16 दोषियों की सजा पर फैसला टला

Last Updated 03 Jan 2018 10:36:44 AM IST

अरबों रुपये के बहुचर्चित चारा घोटाले के नियमित मामले 64ए/96 में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव समेत दोषी करार दिये गये 16 लोगों को सजा के बिंदुओं पर सीबीआई की विशेष अदालत में सुनवाई कल होगी.


लालू प्रसाद यादव (फाइल फोटो)

लालू यादव के अधिवक्ता प्रभात कुमार ने बताया कि बार एसोसिएशन के अधिवक्ता बिंदेश्वरी पाठक के निधन के कारण आज दोपहर डेढ़ बजे शोक सभा रखी गई है. इसके बाद न्यायालय में कोई अधिवक्ता काम नहीं करेंगे. इसलिए, चारा घोटाले के नियमित मामले 64ए/96 में सजा के बिंदुओं पर सुनवाई कल होगी. इसके बाद मामले में दोषी करार दिये राजद अध्यक्ष लालू यादव समेत अन्य अभियुक्त रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में वापस लौट गये.

सीबीआई के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह ने कहा कि सजा के बिंदुओं पर अल्फाबेटिकली चार-चार की संख्या में सुनवाई की जाएगी. वहीं, अधिवक्ता कुमार ने कहा कि इस मामेल में दोषी करार दिये गये 16 अभियुक्त हैं इसलिए अदालत से कल आठ-आठ की संख्या में सुनवाई करने का अनुरोध किया जाएगा.     

इस पूर्व न्यायाधीश ने अपने पेशकार के माध्यम से सूचना दी थी कि चारा घोटाले के इस मामले में आज दोपहर दो बजे सुनवाई की जाएगी. हालांकि कोर्टरूम में राजद अध्यक्ष लालू यादव, पूर्व सांसद जगदीश शर्मा और पूर्व विधायक आर. के. राणा समेत मामले के अन्य अभियुक्त पहुंच चुके थे.

इस बीच न्यायाधीश शिवपाल सिंह ने राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह और शिवानंद तिवारी, बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी को चारा घोटाले में अदालत के निर्णय पर की गई बयानबाजी के मामले में कारण बताओ नोटिस जारी करते हुये पूछा है, ‘क्यों न आप पर न्यायालय की अवमानना का मामला चलाया जाये.’ अदालत ने इन लोगों को 23 जनवरी को जवाब देने के लिए कहा है. इसके अलावा देवघर के तत्कालीन उपायुक्त सुखदेव सिंह और बिहार के पूर्व पुलिस महानिदेशक डी. पी. ओझा को भी नोटिस जारी किया गया है.    

उल्लेखनीय है कि चारा घोटाले का यह मामला देवघर कोषागार से 89 लाख रुपये से अधिक की अवैध निकासी का है. सीबीआई ने इस मामले में 15 मई 1996 को प्राथमिकी दर्ज कराई थी तथा 28 मई 2004 को आरोप पा दायर किया था. इस मामले में 26 सितंबर 2005 को आरोप गठन किया गया था. इस मामले में पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने पशु चारा और दवा के नाम पर अवैध निकासी की थी. इसके लिए फर्जी आवंटन आदेश का इस्तेमाल किया था. जांच से बचने के लिए टुकड़ों-टुकड़ों में 10 हजार रुपये से कम का बिल ट्रेजरी में पेश किया था.

इस मामले में पिछले साल 23 दिसंबर को अदालत ने राजद अध्यक्ष लालू यादव, पूर्व सांसद जगदीश शर्मा, पूर्व विधायक आर. के. राणा, भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी फूलचंद सिंह, बेक जुलियस और महेश प्रसाद के अलावा अधिकारी कृष्ण कुमार प्रसाद, सुबीर भट्टाचार्य,सप्लायर और ट्रांसपोर्टर त्रिपुरारी मोहन, सुशील सिंह, सुनील सिंह, राजाराम जोशी, गोपीनाथ दास, संजय अग्रवाल, ज्योति कुमार झा और सुनील गांधी को भारतीय दंड विधान की धारा 420, 467, 468, 477 ए और 120 बी के तहत दोषी करार दिया था. वहीं, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. जगन्नाथ मिश्र, पूर्व पशुपालन मंत्री विद्यासागर निषाद, लोक लेखा समिति के तत्कालीन अध्यक्ष ध्रुव भगत, प्रशासनिक अधिकारी ए. सी. चौधरी के अलावा सप्लायर और ट्रांसपोर्टर सरस्वती चंद्रा और साधना सिंह को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया था.


 

 

वार्ता


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