NMC बिल भेजा गया संसद की स्थाई समिति के पास, डॉक्टरों ने खत्म की हड़ताल
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक, 2017 के विरोध में राष्ट्रव्यापी हड़ताल पर गये डॉक्टरों ने विधेयक को विचारार्थ संसद की स्थायी समिति के पास भेजे जाने के बाद अपनी हड़ताल वापस ले ली है.
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भारतीय चिकित्सा संघ के सदस्य और पूर्व महासचिव नरेंद्र सैनी ने कहा हम चाहते थे कि विधेयक पर पूरी चर्चा हो और इसके लिए इसे स्थायी समिति के पास भेजा जाये. सरकार ने हमारी मांग मान ली है, इसलिए हमने हड़ताल वापस लेने का फैसला किया है.
उन्होंने उम्मीद जताई कि स्थायी समिति में उनकी बात सुनी जायेगी. डॉ. सैनी ने बताया कि इस विधेयक में कई बदलावों की जरूरत महसूस की जा रही है. चिकित्सा परिषद् का प्रशासन किसी गैर-चिकित्सा पेशेवर या प्रशासनिक अधिकारी को नहीं सौंपा जा सकता. इस क्षेत्र की बारीकियों को डॉक्टर ही समझ सकता है जो इस क्षेत्र में लंबा अनुभव और कौशल रखता हो. सरकार ने विधेयक में प्रस्ताव किया है कि आयोग के सदस्य उसके द्वारा मनोनीत किये जायेंगे.
विधेयक के पारित हो जाने पर पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली के पेशेवरों को भी एलोपैथिक दवाएं लिखने की अनुमति मिल जाती. यह आधुनिक चिकित्सा प्रणाली के साथ मजाक होगा. फिर एलोपैथी के चिकित्सकों को पांच साल का कोर्स और इंटर्नशिप करने की क्या जरूरत है.
डॉ. सैनी ने बताया कि पांच साल के कोर्स के बाद फाइनल परीक्षा पास करने वाले छात्रों को भी प्रैक्टिस के लिए अलग से एक परीक्षा देने की व्यवस्था का भी डॉक्टर विरोध कर रहे हैं.
उन्होंने बिना इंस्पेक्शन चिकित्सा महाविद्यालय खोलने की अनुमति की प्रस्तावित व्यवस्था को भी गलत बताया.
उल्लेखनीय है कि विधेयक के विरोध में आज सुबह से ही निजी और सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर हड़ताल पर चले गये थे. सिर्फ आपात सेवाओं को हड़ताल से बाहर रखा गया था. इससे स्वास्थ्य सेवाओं पर बुरा असर पड़ा और लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा.
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