...जब भ्रामक विज्ञापन के झांसे में आ गए थे उपराष्ट्रपति नायडू
राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने भ्रामक विज्ञापनों पर चिंता जताते हुए आज कहा कि इस तरह के एक मामले में झांसे में आने के बाद उन्होंने मंत्रालय को पत्र लिख कर कार्रवाई करने की मांग की थी.
उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू |
समाजवादी पार्टी के नरेश अग्रवाल ने राज्यसभा में विशेष उल्लेख के तहत भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाने की मांग की थी. नायडू ने कहा कि इन विज्ञापनों का वास्तविकता से कुछ लेना देना नहीं होता. उन्होंने कहा कि वजन कम करने का दावा करने वाली दवा का विज्ञापन देखने के बाद उन्होंने इसे परखने के लिए यह दवा मंगाई और इसके लिए 1230 रूपये का भुगतान किया लेकिन कंपनी ने कहा कि प्रभावशाली दवा के लिए 1000 रूपये और भेजने होंगे.
सभापति ने कहा कि इसके बाद उन्होंने संबंधित मंत्रालय को पत्र लिखकर विज्ञापन की सच्चाई का पता लगाने और संबंधित कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा जिसके बाद जांच में सामने आया कि यह विज्ञापन भारत से नहीं बल्कि अमेरिका से दिया गया है. उन्होंने कहा कि इस तरह के मामलों में सख्त कार्रवाई कर इन विज्ञापनों पर रोक लगायी जानी चाहिए.
उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि यह गंभीर मुद्दा है और सरकार इससे निपटने के लिए सख्त कानून बनाने जा रही है. इस तरह के मामलों से निपटने वाला कानून 31 साल पुराना है लेकिन अब इसमें बदलाव के लिए जल्द ही एक विधेयक संसद में पेश किया जायेगा. उन्होंने कहा कि विधेयक में संसद की स्थायी समिति की सभी सिफारिशों को शामिल किया गया है और इसमें भ्रामक विज्ञापन देने वालों और इसमें अभिनय करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का प्रावधान किया गया है. उन्होंने सदस्यों से अपील की कि वे इस विधेयक को पारित करने में सरकार का सहयोग करें.
इससे पहले अग्रवाल ने कहा कि भ्रामक विज्ञापनों के जरिये नकली उत्पादों को बेचने की होड़ लगी है और लोगों को पता ही नहीं चल रहा कि क्या असली और क्या नकली है. लंबाई बढ़ाने और वजन कम करने के लिए भ्रामक विज्ञापन दिये जा रहे हैं. सब्जी, फल और दूध जैसे कोई भी उत्पाद मिलावट से नहीं बचे हैं. उन्होंने मिलावट और भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाने की मांग की.
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