सूचना देने के आड़े न आए आधार : केन्द्रीय सूचना आयोग

Last Updated 29 Dec 2017 05:44:42 AM IST

केन्द्रीय सूचना आयोग ने व्यवस्था दी है कि आधार कार्ड नहीं होने पर सूचना देने से इनकार करना सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत दिए गए अधिकार का बड़ा उल्लंघन है और यह आवेदक के साथ उत्पीड़न जैसा है.


सूचना देने के आड़े न आए आधार

आयोग ने आवेदक द्वारा पहचान दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराने पर सूचना देने से इनकार करने पर आवासीय एवं शहरी विकास निगम (हुडको) के तत्कालीन आरटीआई अधिकारी पर कानून के तहत अधिकतम जुर्माना लगाया. आवेदक ने हुडको द्वारा खरीदे गए उपहारों तथा इसके सीएमडी द्वारा किए गए खर्चे की जानकारी मांगी थी.

यह मामला विश्वास भामबरकर से जुड़ा है, जिन्होंने 2013 से 2016 तक उपहारों पर हुडको के खर्चे, एशियाड गांव में इसके चेयरमैन और प्रबंध निदेशक के आधिकारिक आवास के पुनरुद्धार, आधिकारिक आवास की बिजली के बिल और सीएमडी को भुगतान किए गए पारिश्रमिक सहित अन्य की जानकारी मांगी थी.

सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलु ने कहा कि सीपीआईओ डीके गुप्ता ने पांच अगस्त 2016 को पत्र लिखकर भामबरकर से आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र या पासपोर्ट देकर पहचान, पते और नागरिकता साबित करने को कहा था. उन्होंने कहा, उन्होंने मांगी गई जानकारी देने के बारे में कुछ नहीं कहा. तीस दिन के भीतर कोई जानकारी नहीं दी गई. आवेदक ने यह शिकायत दर्ज कराई है. उन्होंने सबूत मांगे बिना सूचना देने के लिए पहली अपील भी दायर की है. 

आचार्यलु ने कहा कि जवाब में गुप्ता ने कहा कि वह इस आवेदक की मंशा का सत्यापन करना चाहते हैं. सूचना आयुक्त ने कहा, यह बात कानूनी नहीं है और इसलिए स्वीकार्य नहीं है. वह सूचना देने से इंकार करने की बात को सही ठहराने में भी नाकाम रहे, क्योंकि वह धारा आठ या नौ के तहत अपवाद की किसी उपधारा का हवाला भी नहीं दे पाए.

उनकी बातों से यह साफ है कि मांगी गई सूचना आरटीआई कानून के तहत किसी अपवाद की श्रेणी में नहीं आती.

सहारा न्यूज ब्यूरो


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