चीन का मीडिया भी 'मोदी मैजिक' का हुआ कायल
डोकलाम और आतंकवाद के मुद्दे को लेकर बीत रहे वर्ष के दौरान चीन और भारत बेशक कई बार आमने-सामने आये हों लेकिन इस साल हुए विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जीत को भी चीन का मीडिया 'मोदी मैजिक' का ही असर मानता है.
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंन (फाइल फोटो) |
चीन की सरकारी संवाद समिति 'शिन्हुआ' ने इस वर्ष भारत में हुई गतिविधियों को लेकर एक लंबा लेख प्रकाशित किया है जिसमें श्री मोदी की जमकर तारीफ की गयी है. लेख में भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह की भी प्रशंसा की गयी है.
'मोदी वेव वर्क्स मैजिक फार इंडियाज रूलिंग बीजेपी इन 2017' के शीषर्क से इस लेख में कहा गया है कि मोदी सरकार अपना तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा कर चुकी है. वर्तमान वर्ष समाप्ति पर है. डोकलाम और आतंकवाद के मुद्दों पर भारत के साथ बराबर तनातनी रहने के बावजूद लेख में कहा गया है कि जहां तक राजनीतिक प्रतिस्पर्धा का सवाल है तो भारत की राजनीति के लिए वर्ष 2017' ब्रैंड मोदी'ही रहा है. लेख में 2017 में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा को एक के बाद एक मिली जीत का श्रेय 'मोदी मैजिक' को दिया गया है.
वर्ष 2017 के विधानसभा चुनावों में मोदी को मुख्य चेहरा बताते हुए लेख में कहा गया है कि 2014 में भारतीय राजनीति में भाजपा की शानदार जीत से शुरू हुई मोदी लहर खत्म होने का संकेत नहीं दे रही है. लेख में कहा गया है कि कठिन चुनौतियों के बावजूद भाजपा ने कुछ और राज्यों में अपनी सरकार बना ली है.
मोदी के जनता के बीच लोकप्रिय होने का उल्लेख करते हुए शिन्हुआ ने कहा, मोदी जनता को अपनी ओर खींचने में सफल रहे हैं और इसी के परिणाम स्वरुप भाजपा ने 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश 'हिमाचल और गुजरात विधानसभा चुनावों में जीत का परचम लहराने के साथ 9 राज्यों में विजय प्राप्त की.'
पिछले साल नवम्बर में मोदी के नोटबंदी के फैसले का उल्लेख करते हुए लेख में कहा गया है कि इसकी वजह से कांग्रेस की अगुवाई वाले विपक्ष के निशाने पर सरकार रही. इसके बावजूद इस वर्ष के शुरू में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भगवा पार्टी ने 312 सीटें हासिल की और मतदाताओं ने समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी जैसी बड़ी क्षेत्रीय पार्टियों को किनारे लगा दिया. इतना ही नहीं जातीय समीकरण भी काम नहीं आये. लेख में कहा गया है कि वैसे तो हर राज्य का चुनाव महत्वपूर्ण होता है लेकिन उत्तर प्रदेश का विशेष महत्व है. इस राज्य से लोकसभा की 80 और राज्यसभा की 31 सीटें आती हैं.
लेख में कहा गया है, उत्तर प्रदेश की जीत क्षेत्रीय पार्टियों के गिरेबान से छीनी. क्षेत्रीय पार्टियों की पूर्व में राज्य में महत्वपूर्ण भूमिका रही है.
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का उल्लेख करते हुए लेख में कहा गया है कि उनकी अगुवाई ने भगवा संगठन को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई. उनके दृष्टिकोण के तहत उत्तर प्रदेश में ही एक करोड 80 लाख प्राथमिक सदस्य बनाये गए.
लेख में कांग्रेस के नये अध्यक्ष राहुल गांधी का जिक्र करते हुए कहा गया है कि उनकी अगुवाई में पार्टी को दो राज्यों में चुनाव में पराजय मिली लेकिन जिस तरह से श्री गांधी की लोकप्रियता में इजाफा हुआ है, उसे देखते हुए 2019 का आम चुनाव अकेले घोड़े वाली दौड़ से अलग होगा. इसके मद्देनजर भाजपा को यह समय वास्तविकताओं की जांच करते हुए विनम्र राजनीतिक रवैया अपनाने पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए.
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