सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद तीन तलाक के 100 मामले सामने आए: रविशंकर
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आज कहा कि तीन तलाक से संबंधित विधेयक मुस्लिम महिलाओं की गरिमा और न्याय को सुनिश्चित करने के लिए है और यह किसी भी तरह से शरियत में दखल नहीं है.
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद |
रविशंकर ने मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2017 लोकसभा में चर्चा के लिए पेश करते हुए कहा कि यह ऐतिहासिक विधेयक विवाहित मुस्लिम महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों के संरक्षण के लिए है. सुप्रीम कोर्ट तीन तलाक को गैरकानूनी करार दे चुका है लेकिन इसके बाद भी तीन तलाक के करीब सौ मामले सामने आ चुके हैं ऐसे में सदन का खामोश रहना ठीक नहीं है.
उन्होंने कहा कि दुनिया के कई मुस्लिम मुल्कों में तीन तलाक की कुरीति पर अंकुश लगाने की पुख्ता कानूनी व्यवस्था है ऐसे में भारत जैसा लोकतांत्रिक देश इसमें पीछे नहीं रह सकता. कुछ लोग इसे मुस्लिम समाज के निजी मामलों में दखल बता रहे हैं जबकि सच्चाई यह है कि पाक कुरान भी तीन तलाक की इजाजत नहीं देता ऐसे में यह धर्म से नहीं बल्कि सामाजिक कुरीतियों से जकड़ी मुस्लिम महिलाओं को सशक्त बनाने का एक कदम है.
कानून मंत्री ने सभी दलों से विधेयक का समर्थन करने का अनुरोध करते हुए कहा कि वह विधेयक को दलों की दिवारों में बांटकर या सियासत और मजहब और वोट बैंक के नजरिए से नहीं देखें और महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए मिलकर आगे आएं.
विधेयक में तीन तलाक को संज्ञेय अपराध बनाया गया है और गैर जमानती अपराध की श्रेणी में रखा गया है. इसमें तीन तलाक देने पर तीन साल तक की कैद की सजा का प्रावधान किया गया है. इसके अलावा पत्नी और नाबालिग बच्चों के लिए गुजारा भत्ता देने और नाबालिग बच्चों को उनकी मां के साथ रखने की व्यवस्था की गयी है.
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