विजय विहार आश्रम से छुड़ाई गयीं 41 लड़कियां

Last Updated 22 Dec 2017 04:17:42 PM IST

दिल्ली के विजय विहार स्थित आध्यात्मिक विश्वविद्यालय में आज तीसरे दिन की छापेमारी के बाद महिला आयोग और पुलिस टीम ने बंधक बनाकर रखी गयीं 41 नाबालिग लड़कियों को सुरक्षित बाहर निकाला.


(फाइल फोटो)

पुलिस सूत्रों ने बताया कि पाखंडी बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित के आश्रम पर तीसरे दिन भी जांच जारी है. आश्रम में अभी भी एक सौ से अधिक लड़कियां और महिलाएं हैं, जिन्होंने बाहर आने से इन्कार कर दिया है. आश्रम का संचालक अभी भी फरार है.

सूत्रों का कहना है कि पुलिस और दिल्ली महिला आयोग की टीम कल सुबह फिर आश्रम पर छापेमारी करने पहुंची. इस दौरान आश्रम के लोगों से कमरे की चाबियां मांगी गयीं लेकिन उन्होंने मना कर दिया. आखिर पुलिस टीम ने एक-एक कर करीब 14 दरवाजों के ताले तोड़े और पुलिस ने यहां से 41 नाबालिग लड़कियों को बाहर निकाला.

दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने कहा कि आश्रम में जो भी महिलाएं हैं, सभी को यहां से निकालकर नारी निकेतन में रखा जाना चाहिए. सभी की काउंसिलिंग करवाई जाए, तभी सच्चाई सामने आएगी. पुलिस को आशंका है कि आश्रम के लोगों ने कई लड़कियों को यहां से हटा दिया है.

HC ने CBI को रोहिणी आश्रम के संस्थापक का पता लगाने का दिया आदेश

दिल्ली हाई कोर्ट ने सीबीआई को आज आदेश दिया कि वह उत्तरी दिल्ली स्थित उस आश्रम के संस्थापक का पता लगाए जहां लड़कियों को कथित रूप से अवैध तरीके से बंधक बनाकर रखा गया.

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ ने आदेश दिया कि उत्तरी दिल्ली के रोहिणी स्थित आध्यात्मिक विश्वविद्यालय के संस्थापक वीरेंद्र देव दीक्षित को चार जनवरी से पहले उसके सामने पेश किया जाए.

अदालत ने कल आश्रम के इन दावों पर संदेह जताया था कि वहां महिलाएं बंधक नहीं थी. अदालत ने कहा कि यदि महिलाएं वहां स्वतंत्र थीं तो उन्हें तालाबंद दरवाजों के पीछे क्यों रखा गया था.

पीठ ने यह भी पूछा था कि यदि आश्रम के संस्थापक और आध्यात्मिक प्रमुख सच्चे और ईमानदार हैं तो वह पेश क्यों नहीं हो रहे. साथ ही पीठ ने आश्रम की वित्तीय जानकारी भी मांगी और पूछा कि संस्थान के संचालन के लिए पैसा कहां से प्राप्त होता है.

इससे पहले अदालत ने आश्रम में बच्चियों और महिलाओं को कथित रूप से बंधक बनाकर रखे जाने के मामले की सीबीआई जांच का आदेश दे दिया था. यह दावा किया गया है कि आध्यात्मिक विश्वविद्यालय में उन्हें जानवरों की तरह लोहे की सलाखों के पीछे रखा गया था और वे कांटेदार बाड़े से घिरी हुई थीं.

पीठ ने मामले की गंभीरता और संवेदनशीलता को देखते हुए सीबीआई निदेशक से कहा कि वह विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन करे जो मामले संबंधी सभी रिकॉर्ड और दस्तावेज का प्रभार संभाले.

अदालत ने गैर सरकारी संगठन फाउंडेशन फॉर सोशल इम्पावरमेंट की जनहित याचिका पर आदेश पारित किया था जिसने अदालत को बताया कि कई नाबालिगों और महिलाओं को यहां आध्यात्मिक विश्वविद्यालय में बंधक बनाकर रखा गया था और उन्हें अपने माता-पिता से भी मिलने की अनुमति नहीं थी.

इसके बाद अदालत ने संस्थान के परिसरों की जांच के लिए तत्काल एक समिति गठित थी जिसमें वकील और दिल्ली महिला आयोग प्रमुख स्वाति मालीवाल शामिल हैं. समिति ने 100 से अधिक लड़कियों और महिलाओं के अत्यंत खराब परिस्थितियों में रहने की जानकारी देते हुए एक रिपोर्ट दी. समिति ने यह भी आरोप लगाया कि  आध्यात्मिक विश्वविद्यालय में लड़कियों और महिलाओं को जानवरों की तरह रखा गया और उन्हें नहाने के दौरान भी कोई निजता प्राप्त नहीं थी.

आश्रम और इससे जुड़ी इमारत की फिर से जांच करने वाले पैनल ने आज कहा कि 30 से अधिक मोबाइल फोन जब्त किए गए और उन्होंने अदालत से उस कमरे को सील करने के आदेश दिए जाने की अपील की जहां उन्हें संदूक और अन्य दस्तावेज मिले जिनसे पुख्ता सबूत मिल सकते हैं.

विश्वविद्यालय के अनुयायियों का कहना है कि बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित के शरण में आने वालों को आध्यात्म का ज्ञान दिया जाता था.              

गौरतलब है कि विजय विहार इलाके में आश्रम पिछले करीब तीन दशक से चल रहा है. यहां रहने वाले स्थानीय निवासियों ने बताया कि इस आश्रम के सभी दरवाजे हमेशा बंद ही रहते हैं.

वार्ता/भाषा


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