‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ हर भारतीय का अपरिहार्य अधिकार: नायडू

Last Updated 21 Dec 2017 03:20:16 AM IST

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को अपरिहार्य अधिकार बताते हुए कहा इसमें कुछ निश्चित जिम्मेदारियां और सीमाएं भी हैं.


नई दिल्ली : रामनाथ गोयनका पुरस्कार वितरण समारोह में बोलते हुए उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू.

पत्रकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के लिये रामनाथ गोयनका पुरस्कार वितरण समारोह में श्री नायडू ने संसद में वर्तमान में बहस के दौरान चल रही स्थिति पर कहा कि लोकतंत्र में एक दूसरे के नजरिये को समझना आवश्यक होता है. विपक्ष और सरकार की अपना-अपना मत होता है.

कांग्रेस के शशि थरूर और अनी कुमार और कम्युनिस्ट पार्टी के डी राजा समेत विपक्ष के कई नेताओं की उपस्थिति में श्री नायडू ने कहा कि लोकतां में एक दूसरे के नजरिये को समझना जरूरी होता है. सभी लोगों को किसी भी मुद्दे पर तर्क, विचार-विमर्श के बाद निष्कर्ष पर पहुंचना चाहिये.

श्री नायडू ने कहा कि हमें अभिव्यक्ति और बोलने की स्वतंत्रता को समझना होगा. यह अधिकार जिम्मेदारियों और एक हद के साथ मिलता है. भारत के संविधान ने हमें यह अधिकार देश की अखंडता और श्रेष्ठता, जनादेश, लज्जा और नैतिकता की जिम्मेदारियों के साथ सौंपा है.

श्री नायडू ने प्रेस की स्वतंत्रता सूची में विश्व में भारतीय रैंकिंग पर दु:ख जाहिर किया.

समारोह में उपराष्ट्रपति ने प्रिंट और प्रसारण की 25 श्रेणियों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले 27 विजेताओं को पुरस्कार दिया.

वार्ता


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