सांसदों, विधायकों की वकालत पर लगे रोक
वकीलों की शीषर्स्थ संस्था बार काउंसिल ऑफ इंडिया से मांग की गई है कि सांसदों और विधायकों के वकालत करने पर प्रतिबंध लगाया जाए.
भाजपा नेता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय (file photo) |
भाजपा नेता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष को लिखे पत्र में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने भी डा. हंसराज एल चुलानी बनाम बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र के मामले में पेशेवर कदाचार के मामले में दिशा-निर्देश जारी किया था.
सांसद और विधायक लोकसेवक के दायरे में आते हैं.
सरकारी नौकरी कर रहे शख्स को वकालत करने का अधिकार नहीं है भले ही वह राज्य की बार काउंसिल में पंजीकृत हो. उसे अपने वकालत के लाइंसेंस को स्थगित कराना पड़ता है.
सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि वकालत एक पूर्णकालिक पेशा है. यह पार्ट टाइम पेशा नहीं है.
डाक्टर हो या चार्टर्ड एकाउंटेंट उसे यदि वकालत करनी है तो डाक्टरी या एकाउंटेंसी छोड़नी होगी. लोस सदस्यों के अलावा राज्यसभा के सदस्य और विधानसभा और विधान परिषद के सदस्य देश के लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं.
उनका दायित्व कानून बनाना, विधायिका में पेश विधेयकों पर चर्चा करना है.
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