व्यक्तिगत हमलों ने राहुल को मजबूत बनाया : सोनिया

Last Updated 16 Dec 2017 09:42:05 PM IST

कांग्रेस अध्यक्ष के पद से मुक्त हुईं सोनिया गांधी ने शनिवार को कहा कि विरोधियों की ओर से बर्बर व्यक्तिगत हमलों से उनके पुत्र व पार्टी के नए अध्यक्ष राहुल गांधी 'बहादुर और मजबूत' बने हैं.


नये कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ उनकी मां सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह.

अपने पुत्र राहुल गांधी को पार्टी की कमान सौंपते हुए सोनिया ने कहा कि नए और नौजवान नेतृत्व को पार्टी की कमान सौंपते हुए उन्हें विश्वास है कि पार्टी पुनजीर्वित होगी और जैसा हम बदलाव चाहते हैं, उस तरह का बदलाव होगा.

सोनिया ने कहा, "भारत एक नौजवान देश है. आपने राहुल को अपना नेता चुना है. राहुल मेरे बेटे हैं, तो मुझे नहीं लगता कि उनकी तारीफ करना मेरे लिए उचित होगा. लेकिन मैं कहना चाहूंगी कि बचपन से ही उन्हें हिंसा के आघात को सहना पड़ा है. राजनीति में आने के बाद से उन्हें कई निजी हमलों का सामना करना पड़ा है, जिसने उन्हें और मजबूत बनाया है."

उन्होंने कहा, "मुझे उसके धैर्य और ढृढ़ता पर गर्व है और मुझे विश्वास है कि वह साफ दिल, धैर्य व निष्ठा के साथ पार्टी को आगे बढ़ाएंगे."

सोनिया ने याद किया कि किस तरह 20 वर्ष पहले कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद पहले संबोधन में उनके हाथ कांप रहे थे.

सोनिया ने कहा, "मैं यह नहीं सोच पा रही हूं कि मैंने कैसे इस ऐतिहासिक संगठन की जिम्मेदारी ग्रहण की. यह एक कठिन और कष्टदायक कार्य था, जिसे मैंने निभाया."

सोनिया अपने पति व पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के बाद अनिच्छापूर्वक राजनीति में शामिल हुईं.

उन्होंने कहा, "राजनीति में आने से पहले, राजनीति के साथ उनका संबंध पूरी तरह निजी था."

सोनिया ने कहा, "राजीवजी से विवाह के बाद ही मेरा राजनीति से परिचय हुआ. इस परिवार में मैं आई. यह एक क्रांतिकारी परिवार था. इंदिराजी इसी परिवार की बेटी थीं, जिस परिवार ने स्वतंत्रता संग्राम के लिए अपना धन-दौलत और पारिवारिक जीवन त्याग दिया था. उस परिवार का एक-एक सदस्य देश की आजादी के लिए जेल जा चुका था. देश ही उनका मकसद था, देश ही उनका जीवन था. इंदिराजी ने मुझे बेटी के तौर पर स्वीकार किया और मैंने उनसे इस देश की संस्कृति के बारे में बहुत कुछ सीखा, जिस सिद्धांत पर देश का निर्माण हुआ था."



इंदिरा गांधी की हत्या के बारे में बोलते समय सोनिया लगभग भावुक हो गईं.

उन्होंने कहा, "1984 में उनकी हत्या हुई. मुझे ऐसा महसूस हुआ, जैसे मेरी मां मुझसे छीन ली गई. इस हादसे ने मेरे जीवन को हमेशा के लिए बदल डाला. उन दिनों मैं राजनीति को एक अलग नजरिए से देखती थी. मैं अपने पति और बच्चों को इससे दूर रखना चाहती थी."

उन्होंने कहा, "लेकिन मेरे पति के कंधों पर एक बड़ी जिम्मेदारी थी. मेरे अनुरोध के बाद भी उन्होंने कर्तव्य समझकर पद स्वीकार किया."

पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, "इंदिराजी की हत्या के सात वर्ष बाद ही मेरे पति की भी हत्या कर दी गई. मेरा सहारा मुझसे छीन लिया गया. इसके कई साल बाद जब मुझे लगा कि कांग्रेस कमजोर हो रही है और सांप्रदायिक ताकतें उभर रही हैं तब मुझे पार्टी के आम कार्यकर्ताओं की पुकार सुनाई दी. मुझे महसूस हुआ कि इस जिम्मेदारी को नकारने से इंदिरा और राजीवजी की आत्मा को ठेस पहुंचेगी. इसलिए देश के प्रति अपने कर्तव्य को समझते हुए मैं राजनीति में आई."

उन्होंने कहा कि जिस समय वह कांग्रेस अध्यक्ष बनीं, देश में कांग्रेस के पास तीन राज्य सरकारें थीं. "हम केंद्र से भी कोसों दूर थे. इस चुनौती का सामना किसी एक व्यक्ति का चमत्कार नहीं कर सकता था, इसके बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं की मेहनत से एक के बाद एक राज्य में हमारी सरकार बनी."

उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, "आप सबको धन्यवाद देती हूं कि आपने हर मोड़ पर मेरा साथ दिया. अध्यक्षता के शुरुआती वर्षों में हमने मिलकर पार्टी को एकजुट रखने की लड़ाई लड़ी."

आईएएनएस


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