न्याय की भाषा आमजन के समझने लायक हो : राष्ट्रपति
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद उत्तर प्रदेश के अपने दो दिवसीय दौरे के दूसरे दिन शनिवार को इलाहाबाद पहुंचे और इस दौरान उन्होंने यहां एक कार्यक्रम में कहा कि न्याय की भाषा सरल होनी चाहिए और इसके लिए न्यायपालिका की कार्यवाही को स्थानीय भाषा में अनुवाद की व्यवस्था होनी चाहिए.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (फाइल फोटो) |
उन्होंने यहां सुबह संगम पर पूजा-अर्चना की और उसके बाद हनुमान मंदिर में दर्शन किए. उन्होंने यहां अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी और अन्य साधु-संतों से भी मुलाकात की. इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों और कर्मचारियों के लिए प्रस्तावित न्याय ग्राम का शिलान्यास करने के बाद राष्ट्रपति ने कहा, "न्यायपालिका की कार्यवाही और आदेशों के स्थानीय भाषा में अनुवाद की व्यवस्था होनी चाहिए."
उन्होंने यह भी कहा कि इससे गरीब और आम समझ का व्यक्ति भी वास्तविक स्थिति से स्वयं अवगत हो सकेगा.
कोविंद ने कहा कि देशभर के तीन करोड़ मामलों में से 40 लाख न्यायालयों में लंबित हैं. देश को सस्ता, सरल और सुलभ न्याय की जरूरत है. उन्होंने वैकल्पिक न्याय प्रणाली को मजबूत करने पर जोर दिया.
राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि न्यायालयों के सामने काफी चुनौतियां हैं. इसे सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से आसान कर सकते हैं.
उन्होंने कहा, "इलाहाबाद उच्च न्यायालय की गौरवशाली परंपरा रही है. देश की आजादी से पहले और बाद में भी यहां से लोगों को न्याय मिलता रहा है. देश का सामान्य नागरिक न्यायपालिका जाने से बचता है, ऐसी स्थिति को बदलने की जरूरत है."
इस मौके पर राज्यपाल राम नाईक ने कहा, "न्यायाधीशों की संख्या 108 से 160 करने के लिए तत्पर रहना चाहिए. त्वरित न्यायतंत्र स्थापित होने से ही कानून का राज होगा. समय से निर्माण पूरा करने को निगरानी समिति गठित की जाए."
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, "उच्च न्यायालय के फैसले मील के पत्थर साबित हुए हैं. न्याय व्यवस्था के लिए हर सहयोग को प्रदेश सरकार तैयार है. जनसुनवाई पोर्टल से लोगों को लाभ मिल रहा है."
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