वकीलों के तल्ख लहजे से चीफ जस्टिस बेहद नाराज, कहा- ऐसे शख्स वरिष्ठ वकील होने के लायक नहीं

Last Updated 08 Dec 2017 02:31:04 AM IST

उच्चतम न्यायालय में ‘बार और बेंच’ के बीच उस वक्त एक बार रस्साकशी देखने को मिली जब प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने कुछ वरिष्ठ अधिवक्ताओं के व्यवहार पर गंभीर आपत्ति जतायी.


प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा (file photo)

न्यायमूर्ति मिश्रा ने पारसी महिलाओं के धर्मपरिवर्तन से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान अपनी गहरी आपत्तियां दर्ज कराई.

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ऊंची आवाज में बहस करने के तरीकों को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ वकील सोचते है कि वे ऊंची आवाज में बहस कर सकते हैं, जबकि वे यह नहीं जानते कि इस तरह की बहस सिर्फ यह बताती है कि वे वरिष्ठ अधिवक्ता होने के लायक नहीं है.

वह इस मामले में पांच-सदस्यीय संविधान पीठ का नेतृत्व कर रहे हैं. न्यायमूर्ति मिश्रा ने हाल ही में दिल्ली सरकार के अधिकार क्षेत्र और अयोध्या विवाद को लेकर हुई सुनवाइयों के दौरान वकीलों के व्यवहार का उल्लेख भी किया तथा इसे लेकर तल्ख टिप्पणी भी की.

धवन का तर्क उद्दंड तो अयोध्या मामले में वरिष्ठ वकीलों का लहजा बेहद खराब था : उन्होंने कहा, दिल्ली सरकार के मामले में अगर वरिष्ठ वकील राजीव धवन के तर्क बेहद उद्दंड और खराब थे तो अयोध्या विवाद में कुछ वरिष्ठ अधिवक्ताओं का लहजा और भी अधिक खराब था. इन दोनों मामलों में वकीलों के बेकार और उद्दंड तकरें के बारे में जितना कम कहा जाए, उतना ही अच्छा.

बार ने स्वनियमन नहीं किया तो बेंच कदम उठाने को होगा विवश : नाराज प्रधान न्यायाधीश ने वकीलों को संयम बरतने की सलाह देते हुए कहा कि अगर ‘बार’ स्वनियमन नहीं करता तो ‘बेंच’ को मजबूर होकर इस ओर कदम उठाना होगा.

सहारा न्यूज ब्यूरो


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