पिता बलात्कारी हो तो पीड़िता की गवाही ही काफी है: हाई कोर्ट
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि किसी बलात्कार पीड़िता की गवाही को वैसे मामलों में बिना पुष्टि के भी स्वीकार किया जा सकता है, जिसमें बलात्कारी पिता ही हो.
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हाई कोर्ट की टिप्पणी एक व्यक्ति की अपील पर सुनवाई के दौरान आई, जिसे अपनी 17 साल की बेटी से बलात्कार का दोषी ठहराया गया था.
न्यायमूर्ति प्रतिभा रानी की पीठ ने नवंबर 2009 में निचली कोर्ट द्वारा उस व्यक्ति को सुनाई गई सात साल के कारावास की सजा को बरकरार रखा था. उस व्यक्ति को अपनी बेटी से बलात्कार का दोषी ठहराया गया था.
हाई कोर्ट ने कहा, बलात्कार के वैसे मामले जहां अपराधी और कोई नहीं बल्कि पिता ही है, उस स्थिति में पीड़िता के बयान को बिना किसी पुष्टि के ही स्वीकार किया जा सकता है. पीड़िता के बयान में तारीख या महीने के सिवाय और कोई ठोस विरोधाभास नहीं है.
हाई कोर्ट ने कहा, यह कोर्ट इस बात की अनदेखी नहीं कर सकती कि वह निरक्षर है और शिकायत के साथ-साथ प्राथमिकी पर भी अपने अंगूठे का निशान लगाया. निरक्षर होने के नाते वह कोई खास तारीख और समय या महीना या साल बताने में सक्षम नहीं है.
उस व्यक्ति ने अपनी दोषसिद्धि को चुनौती दी थी. उसने अपनी बेटी की गवाही में अनियमितता की ओर इशारा किया था.
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