ऐसी तीखी बहस, कभी न देखी न सुनी
जजों पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में हाई वोल्टेज सुनवाई हुई. आरोप-प्रत्यारोपों के बीच तीखी झड़पें हुईं.
ऐसी तीखी बहस, कभी न देखी न सुनी |
भरी अदालत में जो कुछ हुआ, उससे देखकर और सुनकर वहां मौजूद लोगों ने दांतो तले उंगली दबा ली. ऐसी विस्फोटक हियरिंग के दर्शन सुप्रीम कोर्ट में कम ही देखने को मिलते हैं.
सुनवाई का आगाज ही अप्रत्याशित तरीके से हुआ. तीन बजे से कुछ मिनट पहले ही सात सदस्यीय संविधान पीठ के गठन की घोषणा की गई. लेकिन जब अदालत लगी तो देखा गया कि पांच जज आसीन हैं. यानी दो जज कम. जस्टिस अर्जन कुमार सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण संविधान पीठ में नहीं थे. पांच जजों की संविधान पीठ ने सुनवाई शुरू होते ही प्रसाद मेडिकल संस्थान से संबंधित अभी तक पारित आदेशों का जिक्र किया. सीजेआई ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के जिस जज ने फैसला दिया था उसके खिलाफ इन हाउस कार्यवाही शुरू कर दी गई है. प्रशासनिक स्तर पर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से रिपोर्ट मांगी गई है. फिर भी उन पर निर्थक आरोप लगाए जा रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के समस्त पदाधिकारी अदालत में मौजूद थे. उन्होंने एक स्वर से सीजेआई पर लगे आरोपों की निंदा की. उनका कहना था कि सुप्रीम कोर्ट की छवि को धूमिल किया जा रहा है. याची एनजीओ के वकील प्रशांत भूषण खचाखच भरी अदालत में अलग-थलग पड़ गए थे. फिर भी उन्होंने हिम्मत दिखाई. साहस जुटाकर कहा कि हां, मैं इस बात पर कायम हूं कि सीजेआई को इस मामले की सुनवाई नहीं करनी चाहिए. सीबीआई द्वारा दर्ज एफआईआर में उनके खिलाफ आरोप हैं. सीजेआई ने उन्हें एफआईआर पढ़ने के लिए कहा. एफआईआर में सीधे तौर पर सीजेआई का नाम नहीं है. जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि अदालतों के कोरिडोर में तरह-तरह की अफवाहें फैलाई जाती हैं. अगर अफवाहों पर ध्यान दिया जाए तो संस्था काम ही नहीं कर सकती. समूचे सिस्टम को एसआईटी के हवाले किया जा रहा है. न्यायपालिका की गरिमा के लिए यह ठीक नहीं है.
जस्टिस अरुण मिश्रा ने प्रशांत भूषण से कहा कि समूचे सिस्टम की गरिमा का सवाल है. उन्होंने भूषण को कई बार ‘ सर’ कहकर संबोधित किया और कहा कि वह अपना धैर्य न खोएं और सामान्य तौर पर जिस तरह अपनी बात शांतिपूर्वक रखते हैं, उसी तरह बात रखें. प्रशांत भूषण ने अदालत से अपनी बात रखने का अनुरोध किया. एक-आध मिनट तक वह बोले भी. लेकिन बार के पदाधिकारी और अन्य वकीलों को अधिक समय देने और उनकी दलीलें सुनने पर भूषण ने सख्त आपत्ति जतायी. भूषण का कहना था कि बार एसोसिएशन मामले में पक्षकार नहीं है. फिर उन्हें क्यों सुना जा रहा है. जबकि मैं पक्षकार हूं और मुझे अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया जा रहा है.
उन्होंने यहां तक कहा कि यदि अदालत उन्हें बिना सुने आदेश पारित करना चाहती है, तो वह ऐसा कर सकती है. बाद में वह आपा खो बैठे और जोर से बोले कि यह अदालत जो भी आदेश पारित करना चाहती है, कर दे. मैं जा रहा हूं. वह इतना तेज बोले कि अदालत के सुरक्षाकर्मी वहां आ गए और उन्हें बाहर ले गए. प्रशांत भूषण के समर्थन में एक वकील ने बोलने का प्रयास किया. वह अपनी बात रख रहा था कि जस्टिस अमिताव राय ने उससे कहा कि वह ऊंची आवाज में बात न करे. वकील कामिनी जायसवाल ने कहा कि प्रशांत भूषण को अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया, इसलिए वह चले गए.
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