घाटी में नेताओं पर भी तेज हो सकते हैं हमले
पिछले एक अरसे में घाटी के विभिन्न इलाकों में हुई मुठभेड़ों के दौरान कई आतंकी कमांडरों को ढेर कर दिया गया है. इसके बावजूद न केवल सुरक्षाबलों बल्कि नेताओं पर भी हमले तेज हो गए हैं.
घाटी में नेताओं पर भी तेज हो सकते हैं हमले (फाइल फोटो) |
इसे लेकर सूबे की सरकार, सुरक्षा तथा खुफिया एजेसियां सभी गहरी चिंता में हैं. सूत्रों का कहना है कि आने वाले दिनों में जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तय्यबा इन हमलों को और तेज कर सकते हैं.
गत दिनों पीडीपी के वरिष्ठ नेता एवं मंत्री नईम अख्तर अंद्राबी के काफिले पर फिदायीन हमला हुआ था. इसी प्रकार बीते कल पीडीपी के ही एक विधायक अब्दुल मजीद पाडर के काफिले पर भी आतंकी हमला हुआ, जिसमें एक पुलिसकर्मी शहीद हो गया.
पीपुल्स कांफ्रेंस के चेयरमैन एवं राज्य के समाज कल्याण मंत्री सज्जाद गनी लोन को भी लश्कर ने धमकी दी है. सज्जाद गनी लोन के पिता दिवगंत अब्दुल गनी लोन एक बड़े अलगाववादी नेता थे और सज्जाद लोन खुद मुख्यधारा में जुड़ने से पहले अलगाववादी नेता रहे हैं.
आपरेशन आल आउट के तहत एक के बाद एक सुरक्षाबलों और सेना ने कई प्रमुख आतंकी कमांडरों को मुठभेड़ में मार गिराया है. गत वर्ष जुलाई को हिजबुल मुजाहिदीन के पोस्टर ब्वाय एवं आपरेशनल कमांडर बुरहान वानी को भी सुरक्षाबलों ने एक मुठभेड़ में ढेर कर दिया था, जिसके बाद करीब 6 माह तक घाटी गोलाबारूद, पत्थरबाजी तथा मुठभेड़ों से ग्रस्त रही.
अब जबकि लश्कर, जैश तथा हिजबुल के कई बड़े-बड़े ईनाम वाले आतंकी कमांडर मुठभेड़ में मारे जा चुके हैं, इससे बौखलाए सरहद पार बैठे विभिन्न आतंकी तंजीमों के सरगना अब आईएसआई के इशारे पर सुरक्षाबलों के साथ-साथ नेताओं को भी निशाना बनाने पर उतारू हैं. इसका मकसद घाटी में हिंसा एवं तनाव का माहौल बनाए रखना है, ताकि पाकिस्तान दुनिया भर में आतंक के खिलाफ यह दुष्प्रचार कर सके कि कश्मीरी घाटी में रायशुमारी चाहते हैं.
सूबे की पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार तथा प्रशासन गहरी चिंता में हैं. राज्य का गृह विभाग अब सूबे के विशेषकर सत्तारूढ़ नेताओं की सुरक्षा के लिए आने वाले दिनों में कुछ विशेष कदम उठा सकती है.
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