सशर्त है तलवार दम्पत्ति की रिहाई
आरूषि- हेमराज हत्याकांड से बरी हुये तलवार दंपत्ति की जेल से तत्काल रिहाई का उच्च न्यायालय का आदेश सशर्त है.
(फाइल फोटो) |
केन्द्रीय जांच ब्यूरा (सीबीआई) न्यायाधीश श्यामलाल के आदेश को रद्द कर संदेह का लाभ देकर बरी करते हुए उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि तलवार दम्पत्ति की रिहाई तभी सम्भव हो सकेगी जब वे इस मामले के अलावा अन्य किसी मामले में वांछित न हों तथा रिहाई से पूर्व उन्हें दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 437 ए के प्रावधानों का पालन करना होगा.
धारा 437 ए - दंड प्रक्रिया संहिता में नया जोड़ा गया है. इसे 31 दिसम्बर 2009 से प्रभावी किया गया है. इसे दंड प्रक्रिया संहिता में प्रभावी बनाने के लिए गृह मांलय ने 30 दिसम्बर, 2009 को अधिसूचना जारी कर लागू किया था. इस धारा के तहत मुल्जिम को ट्रायल कोर्ट के समक्ष बेल बांड एवं सेक्योरिटी भरना होगा, जिस पर अपनी संतुष्टि के बाद तलवार दम्पत्ति की दासना जेल से रिहाई का परवाना जारी होगा.
उच्च न्यायालय के आदेश को मानें तो जब तक आदेश के शर्तो का पालन कर 437 ए एवं अन्य शर्तो का अनुपालन नहीं होगा, तब तक तलवार दम्पक्ति जेल से रिहा नहीं होंगे.
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