जेटली ने अमेरिकी मंत्रियों के साथ एच-1बी वीजा का मुद्दा उठाया

Last Updated 13 Oct 2017 07:28:33 PM IST

वित्त मंत्री अरूण जेटली ने अमेरिका के वित्त और वाणिज्य मंत्रियों के साथ एच-1बी वीजा में सुधारों तथा एल-1 वीजा प्रक्रियाओं का मुद्दा उठाया है.


(फाइल फोटो)

जेटली एक सप्ताह की अमेरिका यात्रा पर हैं. उन्होंने अमेरिका के वित्त मंत्री स्टीवन न्यूचिन तथा वाणिज्य मंत्री विल्बर रॉस के द्विपक्षीय बैठकों में भारत-अमेरिका आर्थिक सहयोग पर चर्चा की. इन बैठकों में विशेषरूप से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय निवेश और व्यापार बढ़ाने के उपायों पर विचार विमर्श हुआ. जेटली ने कहा कि भारतीय पेशेवरों द्वारा अमेरिकी अर्थव्यवस्था में योगदान को स्वीकार किया जाना चाहिए.
        
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि वित्त मंत्री ने भारत सरकार द्वारा ठोस उपायों के जरिये संरचनात्मक सुधारों को आगे बढ़ाने का जिक्र किया. इन सुधारों में माल एवं सेवा कर (जीएसटी), वित्तीय समावेशन और छद्म अर्थव्यवस्था के खिलाफ कदम शामिल हैं.    
        
वित्त मंत्री ने भारत के कुशल पेशेवरों के अमेरिकी अर्थव्यवस्था में योगदान का उल्लेख करते हुए कहा कि अमेरिकी पक्ष को इसकी सराहना करनी चाहिए.
        
उन्होंने मजबूती से एच-1बी-एल1 वीजा प्रक्रियाओं और सामाजिक सुरक्षा योगदान में सुधार पर जोर देते हुए कहा कि इससे अमेरिकी हितों के लिए सेवाएं दे रहे उच्च दक्षता वाले भारतीय पेशेवरों को अनुचित तरीके से उनके लाभ से वंचित नहीं किया जा सकेगा.
        
एच-1बी वीजा गैर-आवजक वीजा है जिसमें अमेरिकी कंपनियों को विशेषता वाले पदों पर विदेशी पेशेवरों को नियुक्त करने की अनुमति होती है. यह वीजा भारतीय आईटी पेशेवरों में काफी लोकप्रिय है


        
एल-1 वीजा में विदेशी पेशेवर को अस्थायी रूप से प्रबंधक, कार्यकारी और विशेषज्ञता ज्ञान श्रेणी में अमेरिका स्थानांतरित किया जा सकता है. इस वीजा में पेशेवर को उसी नियोक्ता, मूल कंपनी, शाखा या अनुषंगी कंपनी में स्थानांतरित किया जाता है. अपने चुनाव अभियान में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एच-1बी और एल-1वीजा कार्यक्रमों में निगरानी बढ़ाने की घोषणा की थी.
        
इससे पहले वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने माइक्रो पेंशन पर मुख्य वक्ता के रूप में अपने संबोधन में कहा कि नीति निर्माताओं तथा संभावित युवाओं के सक्रिय जीवन के बाद पेंशन की जरूरत के बारे में विश्वास दिलाना बड़ी चुनौती है.

भाषा


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