गोधरा कांड: 11 दोषियों की फांसी की सजा उम्रकैद में बदली
गुजरात हाईकोर्ट ने बहुचर्चित गोधरा कांड में बड़ा फैसला दिया है. हाईकोर्ट ने मामले में 11 दोषियों की फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया.
गोधरा कांड (फाइल फोटो) |
इसके साथ ही हाईकोर्ट ने निचली अदालत के 20 लोगों को उम्रकैद और 63 लोगों को बरी किये जाने के फैसले को बरकरार रखा है. कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार और रेलवे दोनों कानून-व्यवस्था बनाए रखने में असफल रहे हैं.
यह वीभत्स कांड 27 फरवरी 2002 को हुआ था जिसमें साबरमती एक्सप्रेस की एस-6 बोगी में आग लगा दी गई थी. इस कांड में 59 लोग जलकर मर गए थे. मरने वालों में ज्यादातर कारसेवक थे जो उत्तर प्रदेश में अयोध्या से लौट रहे थे. इस घटना के बाद हुई सांप्रदायिक हिंसा में 1000 लोग मारे गए थे. मरने वालों में ज्यादातर मुसलमान थे.
न्यायमूर्ति एएस दवे और न्यायमूर्ति जीआर उधवानी की खंडपीठ ने आज के फैसले में कहा कि वह निचली अदालत द्वारा 11 लोगों को दोषी ठहराये जाने के फैसले को बरकरार रखती है लेकिन उन्हें सुनायी गयी मौत की सजा को सश्रम उम्रकैद में बदल रही है.
कोर्ट ने इसी मामले में विशेष एसआईटी अदालत द्वारा 20 अन्य को सुनायी गयी उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा.
राज्य सरकार और रेलवे को हादसे में मारे गए प्रत्येक व्यक्ति के परिवार को 10-10 लाख रुपये की मुआवजा राशि देने का आदेश देते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि शासन कानून व्यवस्था बनाए रखने में असफल रहा, रेलवे भी असफल रहा. कोर्ट ने कहा कि घटना में घायल हुए लोगों को उनकी विकलांगता के आधार पर मुआवजा दिया जाना चाहिए.
खंड पीठ ने कहा कि वह फैसला सुनाने में हो रही देरी पर खेद जताते हैं, क्योंकि अपील पर सुनवायी बहुत पहले पूरी हो गयी थी.
इस कांड में 2011 में विशेष अदालत ने 11 दोषियों को फांसी और 20 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. कोर्ट ने 63 लोगों को बरी कर दिया था.
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