रेलवे में वीआईपी कल्चर को रेड सिग्नल

Last Updated 09 Oct 2017 06:09:41 AM IST

अंग्रेजों के जमाने की रेल संस्कृति में बदलाव का दौर शुरू हो गया है. अब रेलवे में अधिकारी लाट साहब की तरह नहीं रहेंगे कि उनके लिए सैलून लगे और उनकी यात्रा के दौरान मातहतों का जमावड़ा जुटे. यानी रेल में वीआईपी कल्चर पर रेड सिग्नल लगा दिया गया है.


रेलमंत्री पीयूष गोयल (फाइल फोटो)

रेलमंत्री पीयूष गोयल और रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष अश्वनी लोहानी के आने के बाद से रेलवे की वीआईपी संस्कृति में लाट साहब समेत कई नियमों को समाप्त किया जा रहा है. उन्होंने पहले अपने घरों पर नियम विरुद्ध कर्मचारियों की तैनाती करने पर रोक लगाई और अब प्रोटोकाल के नाम पर मातहतों के मौजूद रहने पर रोक लगाई है.

रेल मंत्रालय ने 36 वर्ष पुराने एक प्रोटोकॉल को समाप्त कर दिया है, जिसमें महाप्रबंधकों के लिए अनिवार्य था कि वह रेलवे बोर्ड के चेयरमैन और बोर्ड के सदस्यों की क्षेत्रीय यात्राओं के दौरान उनके आगमन और प्रस्थान के समय मौजूद रहें. इस बाबत रेलवे बोर्ड ने 1981 के एक सर्कुलर में जारी निर्देशों को समाप्त करने का फैसला किया है. इस सर्कुलर यह प्रोटोकॉल था.

इस बाबत रेल मंत्रालय ने 28 सितम्बर को आदेश जारी किया है. इससे पूर्व रेलवे बोर्ड अध्यक्ष अश्वनी लोहानी ने कहा था कि अब किसी भी अधिकारी को गुलदस्ता और उपहार नहीं दिए जाएंगे. रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों को केवल दफ्तर में ही नहीं, बल्कि घर पर भी इस तरह की पाबंदी का पालन करना होगा.



इसी तरह से सभी अधिकारियों को अपने घरों में घरेलू कर्मचारियों के रूप में लगे रेलवे के समस्त स्टाफ को मुक्त करना होगा. ये घरेलू कर्मचारी ट्रैकमैन थे,जो काम पर लौटे भी हैं. इसके अलावा रेलमंत्री ने रेल अधिकारियों से एग्जीक्युटिव श्रेणी में यात्रा करना छोड़ स्लीपर और एसी थ्री-टीयर श्रेणी के डिब्बों में अन्य यात्रियों के साथ सफर करने को कहा है.

दुर्घटनाएं रोकने अफसरों की फौज चली फील्ड में
किसी भी कीमत पर रेल दुर्घटनाएं रोकने के आदेश को अमल में लाने की कवायद शुरू हो गई है. संरक्षा के तमाम उपायों के बीच रेलवे बोर्ड और रेलवे मुख्यालयों में तैनात अफसरों को फील्ड में भेजा रहा है. अगले सप्ताह तक सभी रेल मंडलों में अपर मंडल रेल प्रबंधक नियुक्त कर दिए जाएंगे. इन अपर मंडल रेल प्रबंधकों की जिम्मेदारी होगी कि वे अपने अधीनस्थ अफसरों के साथ तालमेल कर संरक्षा व्यवस्था को मजबूत करें और मौके पर तत्काल निर्णय लें.

 

विनोद श्रीवास्तव
सहारा न्यूज ब्यूरो


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