रोजगार के लिए सरकार नीतियां बदलने को तैयार
घटते रोजगार को लेकर फिक्र कर रही सरकार ने अपने रुख में नरमी का संकेत दिया है.
रोजगार के लिए सरकार नीतियां बदलने को तैयार |
सरकार ने इस बात के संकेत दिए हैं कि अगर रोजगार बढ़ाने के लिए जरूरी हुआ तो वो अपनी नीतियों और श्रम कानूनों में भी परिवर्तन करेगी.
कैसे अधिक रोजगारों का सृजन किया जाए, इससे सम्बंधित योजना आयोग के वर्किग ग्रुप की सोमवार को बैठक हुई. इसमें श्रम मंत्रालय के अधिकारी, श्रम मामलों के विशेषज्ञों और शोधार्थियों के अलावा दो श्रमिक नेता (बीएमएस, इंटक) भी शामिल हुए. दिन में साढ़े 12 बजे शुरू हुई यह बैठक ढाई घंटे तक चली. योजना आयोग में श्रम नीति की सलाहकार सुनीता सांघी की अध्यक्षता वाला यह वर्किग ग्रुप जल्द अपनी रिपोर्ट तैयार करके सरकार को सौंपेगा.
बैठक में इसपर भी माथापच्ची हुई कि जॉब को फिर से परिभाषित किया जाए. श्रमिक मामलों के विशेषज्ञों ने कहा कि अगर जॉब का मतलब सिर्फ नौकरी है तो ये सबको मिलने से रही. लिहाजा इसपर बात हुई कि जॉब में स्वरोजगार की बात की जाए तो अधिक व्यक्तियों को रोजगार मिल सकता है. बात ये भी हुई कि कृषि में अभी भी सबसे ज्यादा व्यक्तियों को रोजगार मिल रहा है, लिहाजा सिर्फ उद्योग प्रधान सोच रखने की बजाय परंपरागत कृषि प्रधान सोच ही अधिक उपयुक्त रहेगी. छोटे-मझोले उद्योग और एग्रो आधारित उद्योग पर जोर रखकर बढ़ती बेरोजगारी की समस्या से जूझा जाए.
बैठक में ये भी चर्चा हुई कि ऐसे कौन से कारण हैं जिनकी वजह से अधिक रोजगार नहीं मिल पा रहा है. जिनमें ये भी कहा गया कि आज जब आधुनिक टेक्नोलॉजी वाले उद्योग लग रहे हैं जिनमें निवेश तो करोड़ों रुपए का होता है पर इसमें बमुश्किल आधा दर्जन श्रमिकों से काम चल जाता है. चर्चा में ये विषय भी आया कि आने वाले समय में जब कृत्रिम बौद्धिकता वाले उद्योग जिनमें रोबोटिक तकनीक के जरिए तमाम तरह के काम किए जाएंगे वहां रोजगार का संकट और बढ़ेगा.
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