सीतारमन, मैटिस ने भारत को अत्याधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकी की आपूर्ति पर चर्चा की
रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन और उनके अमेरिकी समकक्ष जेम्स मैटिस ने भारत को अत्याधुनिक रक्षा प्रैाद्योगिकी की आपूर्ति करने सहित द्विपक्षीय रक्षा संबंधों को मजबूत करने के लिए आज विस्तृत बातचीत की.
रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन और उनके अमेरिकी समकक्ष जेम्स मैटिस हाथ मिलाते हुए. |
भारत और अमेरिका के बीच सहयोग में रक्षा साझेदारी को एक प्रमुख रणनीतिक स्तंभ बताते हुए दोनों नेता दोनों देशों की सेनाओं के बीच अतिरिक्त और विशेष अभ्यास की संभावना तलाशने को सहमत हुए.
दोनों देशों की सेनाएं फिलहाल संयुक्त सैन्य अभ्यास युद्ध अभ्यास 2017 में भाग ले रही है और उनकी नौसेनाओं ने हाल ही में मालाबार का 2017 का संस्करण बे ऑफ बंगाल संपन्न किया है. यह भारत, अमेरिका और जापान के बीच एक त्रिपक्षीय सैन्य अभ्यास है.
हालांकि, मैटिस की भारत यात्रा के दौरान किसी विशेष रक्षा कारोबार सौदे की घोषणा नहीं हुई है, पर सूत्रों ने बताया कि मोदी के मेक इन इंडिया अभियान के तहत एफ- 16 और एफ- 18 के दो विशेष प्रस्तावों पर वार्ता हुई है. इसके साथ ही महत्वाकांक्षी रक्षा प्रौद्योगिकी एवं व्यापार पहल (डीटीटीआई) के तहत नयी परियोजनाओं की पहचान करने की भी कोशिश की गई है.
दरअसल, ट्रंप प्रशासन भारत को एफ- 18 और एफ- 16 लड़ाकू विमान बेचना चाहता है. इसे अमेरिकी कंपनियां क्रमश: बोइंग और लॉकहीड मार्टिन बनाती हैं. दोनों कंपनियों ने इन विमानों को भारत में एसेंबल करने की पेशकश की है.
भारत अमेरिका से डोन और मानव रहित विमान खरीदने को भी इच्छुक है.
मैटिस ने सीतारमन के साथ वार्ता के बाद एक संयुक्त प्रेस ब्रीफिंग में कहा, हमने अपने रक्षा उद्योगों के बीच रक्षा कारोबार, प्रौद्योगिकी सहयोग मजबूत करने के तरीकों पर भी चर्चा की. हम अपनी कुछ सर्वाधिक अत्याधुनिक रक्षा प्रौद्योगीकियां डीटीटीआई के जरिए आश्वस्त करने की आशा करते हैं.
भारत और अमेरिका ने भारत के बड़े रक्षा साझेदार बनने की ओर बढ़ने पर भी चर्चा की.
सीतारमन ने कहा कि यह कदम रक्षा प्रौद्योगिकी और विनिर्माण पर और अधिक उर्जा तथा गति मुहैया करेगा.
मैटिस ने इस बात का जिक्र किया कि भारत का बड़े रक्षा साझेदार बनना क्षेत्रीय स्थिरता एवं सुरक्षा के के स्तंभ के तौर पर भारत को मान्यता देता है.
सीतारमन ने कहा कि अमेरिका अब भारत का सबसे बड़ा अत्याधुनिक रक्षा उपकरण आपूर्तिकर्ता है. मैं आगे भी अत्याधुनिक क्षेत्रों में मंच साझा करने की मैटिस की इच्छा की सराहना करती हूं. यह मौजूदा और उभरते खतरों से निपटने में भारत की रक्षा तैयारियों को बढ़ाएगा.
हिंद - प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती सक्रियता और खासतौर पर हाइडो कार्बन बहुल दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती सक्रियता के मद्देनजर मैटिस ने दोनों देशों के बीच समुद्री सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया.
अमेरिका रक्षा मंत्री ने कहा, हम हिंद महासागर में भारत के स्थिर नेतृत्व की सराहना करते हैं और एक क्षेत्रीय ढांचा बनाने के लिए साथ काम करना चाहते हैं.
वहीं, सीतारमन ने कहा कि उन्होंने भी मैटिस से हिंद महासागर और एशिया - प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा के बारे में तथा क्षेत्रीय संपर्क मुद्दों पर चर्चा की.उन्होंने चीन का नाम लिए बगैर कहा कि भारत नौवहन की स्वतंत्रता का समर्थन करता है.
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