जीएसटी : दुल्हन की तरह सज रही संसद
वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) प्रणाली की शुरुआत राष्ट्रपति के घंटा बजाने से करने के लिए संसद भवन को दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है.
जीएसटी प्रणाली की शुरूआत के लिए संसद भवन को रोशन जगमगाने के लिए तरह-तरह के एलईडी बल्ब लगाए गए हैं. |
भवन को रोशन जगमगाने के लिए तरह-तरह के एलईडी बल्ब लगाए गए हैं. केंद्रीय कक्ष का कारपेट और साउंड सिस्टम बदल दिया गया है. भवन के पिलरों का 100 साल का मैल छुड़ाने का काम अभी चल रहा है.
आगामी 30 जून की रात्रि को 12 बजे राष्ट्रपाति प्रणब मुखर्जी घंटा बजाकर जीएसटी की शुरु आत करेंगे. इस कार्यक्रम के लिए संसद भवन को सजाया-संवारा जा रहा है. करीब सौ साल पहले बना संसद भवन धूल और प्रदूषण से मैला हो गया है. हर बार भवन की सफाई होती है.
इस पर खास तकनीक माइक्रो सेंड से पिलरो से मैल छुड़वाया जा रहा है. सफाई के बाद इनका रंग निखर आया है. यह तकनीक हैरिटेज इमारतों की सफाई के लिए दुनिया भर इस्तेमाल की जाती है.
भारत में इसका प्रयोग पहली बार किया जा रहा है. संसद भवन हैरिटेज इमारत है इस पर हर कार्य पूर्वानुमति से किया जाता है और ध्यान रखा जाता है कि कहीं कोई नुकसान न हो.
ऐतिहासिक केंद्रीय कक्ष के हरे कारपेट और साउंड सिस्टम को बदलने का काम किसी चुनौती से कम नहीं है. कारपेट बदलने की योजना डेढ़ साल पहले बनी थी लेकिन जीएसटी की शुरु आत करने का कार्यक्रम यहीं आयोजित करने के कारण सब कुछ फटाफट किया गया है.
लोकसभा सचिवालय के एक सूत्र ने बताया कि कारपेट बनाने का काम उत्तर प्रदेश के भदोही के खानदानी बुनकरों को दिया गया था. यहां के 15 बुनकरों ने करीब डेढ़ साल की कड़ी मेहनत के बाद कारपेट तैयार किया है.
इस कारपेट का आकार करीब 950 वर्ग मीटर है. कारपेट पूरी तरह से हाथ से बनाया गया है. देसी ऊन से बने इस कारपेट की खासियत है कि इस पर आग नहीं लगती जबकि सिंथेटिक ज्वलनशील होता है.
कारपेट को बिछाने के लिए भी भदोई से बुनकर आए थे. इस बार केंद्रीय कक्ष का साउंड सिस्टम भी बदला गया है.
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