शुरू होने से पहले विवादों में घिरा अरुणप्रभा चैनल
पूर्वोत्तर के लोगों के लिए शुरू होने वाला अरुण प्रभा चैनल विवादों में घिर गया है.
शुरू होने से पहले विवादों में घिरा अरुणप्रभा चैनल |
दूरदर्शन ने इस बार निर्माताओं से अपने कार्यक्रम के बाबत प्रजेंटेशन लेने के बजाय स्वयं ही छंटनी कर दी. इस तरीके से गुस्से निर्माताओं ने दूरदर्शन को कानूनी नोटिस भेजा है. निर्माताओं का कहना है कि उनके साथ न्याय नहीं किया गया तो वे अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे. कशीर चैनल को लेकर निर्माताओं ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जबकि श्रीनगर की एक अदालत ने स्थगन आदेश दे दिया है.
अरुणप्रभा चैनल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है. इस चैनल की शुरुआत 15 अगस्त को होनी है. चैनल पर दिखाए जाने वाले कार्यक्रमों के लिए दूरदर्शन ने निजी निर्माताओं से प्रस्ताव आमंत्रित किए थे. करीब 1180 निर्माताओं ने आवेदन किया था. निर्माताओं ने 50 हजार रुपए खर्च कर एक एपिसोड बनाया और 25 हजार रुपए आवेदन शुल्क के रूप में जमा कराया. इस बार दूरदर्शन ने निर्माताओं से प्रजेंटेशन लेने के बजाय आंतरिक समितियां बनाकर 1180 प्रस्तावों की जांच की और उनमें से 390 को छांट दिया. अब इन निर्माताओं को 6 से 10 जुलाई तक प्रजेंटेशन देने के लिए बुलाया जाएगा.
निर्माताओं ने अपने वकील के मार्फत दूरदर्शन से कहा है कि प्रस्तावों के चयन की प्रक्रिया दोबारा शुरू की जाए और सभी निर्माताओं को प्रजेंटेशन देने के लिए बुलाया जाए. यदि तब कोई निर्माता रिजेक्ट किया जाता है तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी. लेकिन, जो तरीका दूरदर्शन ने अपनाया है वह अनुचित है. निर्माताओं ने धमकी दी है कि यदि उनकी आपत्तियां दूर नहीं की गई तो कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे.
दूसरी तरफ, कश्मीर चैनल के लिए दूरदर्शन ने नए नियम तय कर दिए हैं. इनके मुताबिक, निर्माता का कारोबार तीन करोड़ रुपए का होना चाहिए और उसे 150 घंटे का कार्यक्रम बनाने का अनुभव होना चाहिए. इस शर्त पर निर्माताओं ने कोर्ट से स्टे ले लिया और दिल्ली के निर्माताओं ने दिल्ली उच्च न्यायालय में केस दायर किया है, जिसकी सुनवाई चार जुलाई को होगी.
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