बौद्धिक आजादी बचाने की जरूरत : उपराष्ट्रपति

Last Updated 25 Mar 2017 08:39:31 PM IST

उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने चंडीगढ़ में शनिवार को कहा कि भारतीय विश्वविद्यालयों में बौद्धिक आजादी को बचाने की सख्त जरूरत आन पड़ी है.


उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी (फाइल फोटो)

उपराष्ट्रपति ने चंडीगढ़ स्थित पंजाब विश्वविद्यालय के 66वें कन्वोकेशन के दौरान अपने संबोधन में कहा, "बौद्धिक मामलों में बड़े पैमाने पर बढ़ रहे अविश्वास के इस दौर में, स्वतंत्र रिक्त स्थान के रूप में विश्वविद्यालयों को स्वतंत्र, महत्वपूर्ण ज्ञान सुरक्षित रखने, और उदारवादी मूल्यों के नवीकरण के स्रोत के रूप में बचाए रखने की आवश्यकता है, जो लोगों के लिए सामाजिक गतिशीलता और समानता के अवसर प्रदान करते हैं."

उन्होंने आगे कहा, "हमें व्यावहारिक उदार शिक्षा की लोकतांत्रिक आकांक्षाओं को याद दिलाने की जरूरत है और यह याद करने की जरूरत है कि हमारे बेहतरीन विश्वविद्यालय लोगों को अपने सर्वश्रेष्ठ जीवन के सपने को पूरा करने में सहायता करते हैं."



विश्वविद्यालय की प्रणाली में अकादमिक स्वतंत्रता के महत्व के बारे में अंसारी ने कहा, "शैक्षिक स्वतंत्रता, ज्ञान की खोज व उसमें सुधार और उसका प्रसार करना विश्वविद्यालय के मिशन की नींव है. विचार, चाहे कितना भी असहज हो या यथास्थितिवादियों के लिए परेशानी का कारण बनता हो, गुण-दोष के आधार पर उसे चुनौती दी जा सकती है, संशोधित की जा सकती है और यहां तक कि खारिज भी की जा सकती है, लेकिन सही विचार रखने वालों को कभी भी चुप नहीं कराया जा सकता या उन्हें दबाया नहीं जा सकता."

 

 

 

आईएएनएस


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