चयनात्मक रिपोर्टिग के लिए मीडिया की राज्यसभा में निंदा
मीडिया की भूमिका पर एक बार फिर सवाल खड़ा हो गया, जब गुरुवार को राज्यसभा में विभिन्न राजनीतिक दलों के सदस्यों ने संसद की कार्यवाही के सकारात्मक पक्ष की रिपोर्टिग न करने को लेकर मीडिया की आलोचना की.
(फाइल फोटो) |
सदन की कार्यवाही शुरू होते ही समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता नरेश अग्रवाल ने यह मुद्दा उठाया.
उन्होंने कहा, "कल (बुधवार) शरद यादवजी ने मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ बताया था और उसकी भूमिका की बात की थी, लेकिन मीडिया में उसके बारे में कोई खबर नहीं दी गई."
जनता दल-युनाइटेड (जद-यू) नेता शरद यादव ने अग्रवाल का समर्थन करते हुए कहा, "मैंने जो कुछ भी कहा था, वह सदन की चारदीवारी के भीतर ही दफन हो गया."
कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने भी इस मुद्दे पर चिंता व्यक्त की और कहा कि मीडिया को राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर जनता को जागरूक करने में अपनी भूमिका निभानी चाहिए.
उन्होंने कहा, "मीडिया इस सदन में होने वाले किसी भी सकारात्मक कार्य की रिपोर्टिग नहीं करती."
उप सभापति पी.जे. कुरियन ने सदस्यों को शांत करने के मकसद से कहा कि नियमित प्रस्ताव के तहत ही सदन में इस मुद्दे पर चर्चा की जा सकती है.
उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि समाचार पत्रों में वही खबरें प्रकाशित की जाती हैं जिसमें कुछ अनूठापन होता है. उन्होंने कहा कि अगर किसी आदमी को कुत्ता काट लेता है तो उसकी कोई खबर नहीं बनती, लेकिन अगर आदमी कुत्ते को काटता है, तो यह खबर होती है.
कुरियन ने साथ ही कहा, "मीडिया भारतीय लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है और इसकी रक्षा के लिए ईमानदार रिपोर्टिग जरूरी है."
शरद यादव ने बुधवार को कहा था कि देश के मीडिया संगठन उद्यमियों की मुठ्ठी में हैं और \'पत्रकार सच्ची रिपोर्टिग करने के लिए स्वतंत्र नहीं हैं.\'
उन्होंने कहा था, "पत्रकार जिस प्रकार चाहते हैं, वैसे नहीं लिख सकते और उन्हें पूंजीपतियों के निर्देश पर काम करना पड़ता है."
यादव ने कहा कि यह चलन भारत के लोकतंत्र को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है.
जद(यू) नेता ने कहा कि उद्यमियों ने अपने एजेंडों और हितों के लिए भारतीय मीडिया को मुठ्ठी में किया हुआ है.
उन्होंने कहा, "इस पर रोक लगानी जरूरी है."
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