आतंकी पनाहगाहों को नेस्तनाबूद करने, इसे मिल रहे सहयोग को रोकने का प्रस्ताव

Last Updated 04 Dec 2016 08:20:58 PM IST

'हार्ट ऑफ एशिया' सम्मेलन में आतंकवाद का मुकाबला करने का मुद्दा केंद्र में रहा और इसने पाकिस्तान को एक साफ संदेश भेजा है कि आतंकवाद और हिंसक चरमपंथ शांति के लिए सबसे बड़ा खतरा है.


'हार्ट ऑफ एशिया' सम्मेलन (फाइल फोटो)

हालांकि, इस बुराई से प्रभावी तरीके से निपटने के लिए एक क्षेत्रीय ढांचा बनाने के अफगानिस्तान के प्रस्ताव को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका.
  
सम्मेलन में दो दिनों की चर्चा में बड़े क्षेत्रीय एवं वैश्विक शक्तियां एवं समूह शामिल हुए. इस चर्चा के बाद 'अमृतसर घोषणापत्र' जारी किया गया जिसने क्षेत्र में आतंकी पनाहगाहों को नेस्तनाबूद करने, आतंकी नेटवर्क को सभी वित्तीय, तरकीबी और साजो सामान सहयोग को बाधित करने की अपील की. 
  
भारत और अन्य जगहों पर सीमा पार से हुए कई हमलों की पृष्ठभूमि में इस सम्मेलन का आयोजन हुआ. इस सम्मेलन :एचओए: ने अफगानिस्तान और क्षेत्र के कई हिस्सों में सुरक्षा की गंभीरता पर गंभीर चिंता जाहिर की.
  
एचओए ने कहा कि लश्कर ए तैयबा, जैश ए मोहम्मद, तालिबान, हक्कानी नेटवर्क, अल कायदा, आईएस और इससे संबद्ध संगठनों, टीटीपी, जमात उल अहरार, जुंदुल्ला तथा विदेशी आतंकी समूहों जैसे संगछनों को रोकने के लिए संयुक्त कोशिश किए जाने की जरूरत है.
  
संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा कि कि घोषणापत्र आतंकवाद को शांति एवं स्थिरता के लिए सबसे बड़ा खतरा मानता है. यह आतंकवाद के सभी रूपों और इसके सहयोग, वित्तपोषण, पनाहगाहों को फौरन खत्म करने की अपील करता है.


  
भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे जेटली ने कहा, ''पहली बार किसी 'हार्ट ऑफ एशिया घोषणापत्र' में अफगानिस्तान और क्षेत्र में अलकायदा, दाएश, एलईटी तथा जेईएम जैसे आतंकी संगठनों के द्वारा की गई हिंसा पर चिंता जाहिर की गई.
  
हालांकि, एचओए के इस्लामाबाद घोषणापत्र में अलकायदा और जेएश का जिक्र किया गया था.

भाषा


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