भारतीयों के 32 लाख डेबिट कार्ड का डाटा चोरी, एसबीआई ने छह लाख कार्ड ब्लाक किए

Last Updated 21 Oct 2016 03:54:20 AM IST

यदि आप बैंक के डेबिट कार्ड का इस्तेमाल कर रहे हैं तो सावधान हो जाएं. हैकरों ने भारतीय बैंकों पर भयंकर साइबर अटैक किया है.


भारतीयों के 32 लाख डेबिट कार्ड का डाटा चोरी

इस हमले में 32 लाख लोगों के डेबिट कार्ड की गोपनीय सूचनाएं चोरी होने की आशंका है. मामले की गंभीरता को देखते हुए देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक एसबीआई ने अपने छह लाख ग्राहकों के डेबिट कार्ड ब्लाक कर दिए हैं. इस हमले की चपेट में एक्सिस बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक, केनरा बैंक, सेंट्रल बैंक और आंध्रा बैंक सहित कई बड़े बैंकों के आने की आशंका है. लेकिन अभी तक किसी भी बैंक ने यह खुलासा नहीं किया है कि कितने काडरे का डाटा चोरी हुआ है अथवा कितनी रकम निकाली गई.

बैंकरों का कहना है कि कार्ड ब्लाक करने अथवा बदलने का कदम ग्राहकों को किसी बड़े नुकसान से बचाने के लिए उठाया गया है. एसबीआई जैसे कई बैंकों ने छह लाख से अधिक कार्ड वापस मंगवाए हैं. निजी क्षेत्र के आईसीआईसीआई बैंक, एक्सिस बैंक, एचडीएफसी बैंक व यस बैंक जैसे बैंकों ने अपने ग्राहकों से एटीएम पिन बदलने को कहा है. बैंक आफ बड़ौदा, आईडीबीआई बैंक, सेंट्रल बैंक व आंध्रा बैंक ने एहतियाती कदम के रूप में डेबिट कार्ड बदलने की प्रक्रिया पहले ही शुरू कर दी है.

बैंक ग्राहकों का भरोसा बहाल करते हुए वित्त मंत्रालय ने कहा है कि चिंता की कोई जरूरत नहीं है. कुल डेबिट कार्ड में से केवल 0.5 फीसद में सेंधमारी हुई है. शेष 99.5 फीसद पूरी तरह सुरक्षित हैं.  खुदरा भुगतान प्रणाली के शीर्ष संगठन एनपीसीआई ने एक बयान में कहा कि अब तक 641 ग्राहकों ने कुल मिलाकर 1.3 करेाड़ रुपए की अवैध या फर्जी तरीके से निकासी की शिकायत की है. इनमें से कुछ ग्राहकों का कहना है कि उनके खाते से चीन व अमेरिका से फर्जी तरीके से निकासी गई है.

क्या है मसला

किसी बैंक ने यह नहीं बताया है कि यह डाटा कैसे चोरी हुआ. हैकरों ने कार्ड का डाटा एक साथ चोरी किया अथवा एक-एक करके चोरी किया गया. जानकारों का मानना है कि हैकरों ने एक वायरस तैयार किया है जिसे एक बड़े निजी बैंक के एटीएम में इंजेक्ट कर दिया. चूंकि सारे बैंकों के एटीएम साफ्टवेयर आपस में इंटरकनेक्ट है इसलिए यह वायरस धीर-धीरे कई और बैंकों के एटीएम साफ्टवेयर में प्रवेश कर गया. इसके जरिए ही डेबिट कार्ड का नंबर और पिन जैसी गोपनीय सूचनाएं चुराई गई हैं. माना जा रहा है कि यह हमला चीन से किया गया है.

कैसे लगाई सेंध

हैकर किसी डेबिट कार्ड का नंबर, पिन और अन्य ब्योरा प्राप्त करके उससे शापिंग कर लेते हैं. कई मामले में बैंक खाते में जमा सारी रकम को किसी एनजीओ सरीखे विशेष खाते अथवा वॉलेट में ट्रांसफर कर लेते हैं. गोपनीय सूचनाओं के आधार पर डेबिट कार्ड का क्लोन भी तैयार कर लिया जाता है. हालांकि इसका इस्तेमाल करने के लिए मोबाइल नम्बर और ओटीपी की जरूरत होती है लेकिन शातिर दिमागी हैकर इसका भी तोड़ ढूंढ लेते हैं. ताजा अटैक में हैकरों ने इसी प्रक्रिया के जरिए गोलमाल किया है.

क्या करें ग्राहक

साइबर अटैक की घटना का खुलासा होने के बाद बैंक सतर्क हो गए हैं. तमाम बैंक अपने एटीएम सर्वर की सुरक्षा बढ़ा रहे हैं. जाहिर है डाटा चोरी करने वाला यह वायरस अब ज्यादा सेंध नहीं लगा पाएगा. जिन लोगों के डाटा चोरी होने की आशंका है बैंकों ने उनके कार्ड ब्लाक कर दिए हैं. फिर भी एहतियात के तौर पर कुछ दिन डेबिट कार्ड का इस्तेमाल न करें तो बेहतर रहेगा. इसके बाद अपने कार्ड का पिन बदल दें. प्राय: किसी ऐसे एटीएम का ही इस्तेमाल करें जहां सुरक्षा गार्ड तैनात हो. एकांत में स्थापित एटीएम का यूज करने से बचने की कोशिश करें.

क्या है बचाव

फिलहाल देखें तो एहतियात ही सबसे बड़ी सुरक्षा है. इसके लिए आपको खुद ही पहल करनी होगी. इसके लिए आपको दो-तीन महीने के नियमित अंतराल पर अपने कार्ड का पिन बदलना चाहिए. किसी भी सूरत में अपना पिन या नेट बैंकिंग का पार्सवड किसी के साथ भी साझा नहीं करना चाहिए. होटल, रेस्त्रां, पेट्रोल पंप या फिर भी किसी भी दुकान पर अगर कार्ड का इस्तेमाल कर रहे हैं तो अपने सामने ही उसे स्वाइप करें. इसके जरिए कार्ड को क्लोनिंग होने से बचा सकते हैं.

आरबीआई का निर्देश

बैंकिंग क्षेत्र का नियामक आरबीआई साइबर अटैक के बाद सतर्क हो गया है. उसने सभी बैंकों को सुरक्षा के तत्काल उपाय करने को कहा है. साथ कितने लोगों का डाटा चोरी हुआ और इससे कितनी राशि का फाड्र हुआ है इसकी रिपोर्ट मांगी है.

देवेन्द्र शर्मा
समयलाइव डेस्क ब्यूरो


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