गृह मंत्रालय ने बुगती का शरण आवेदन सुरक्षा जांच के लिए भेजा

Last Updated 27 Sep 2016 07:18:57 PM IST

भारत में राजनीतिक शरण मांगने के लिए बलूच नेता ब्रहामदाग बुगती द्वारा किए गए आवेदन को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अंतिम फैसला लिए जाने से पहले जांच के लिए सुरक्षा एजेंसियों के पास भेजा गया है.


बलूच नेता ब्रहामदाग बुगती (फाइल फोटो)

गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, \'\'राजनीतिक शरण मांगने के बुगती के आवेदन का अवलोकन करने के बाद गहन जांच के लिए हमने इसे सुरक्षा एजेंसियों के पास भेज दिया है. इस तरह के आवेदनों पर अंतिम फैसला किए जाने से पहले सुरक्षा जांच आवश्यक होती है.\'\'

भारत में राजनीतिक शरण के लिए बुगती के आवेदन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा फैसला लिए जाने की संभावना है.

बुगती ने शरण के लिए पिछले सप्ताह जिनेवा स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास में आवेदन किया था और बाद में आवेदन विदेश मंत्रालय को भेज दिया गया, जहां से इसे गृह मंत्रालय के पास भेज दिया गया. भारत में कोई समग्र शरण नीति नहीं है.

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार भारत में शरण मांगने वालों की संख्या कम से कम 6,480 है, लेकिन सरकार उन्हें मान्यता नहीं देती.

स्थिति इतनी जटिल है कि गृह मंत्रालय के अधिकारियों को प्रक्रिया को देखने के लिए 1959 के रिकॉर्ड खंगालने पड़ रहे हैं.

वर्ष 1959 में तिब्बत के आध्यात्मिक नेता दलाई लामा तथा उनके अनुयायियों को जवाहरलाल नेहरू सरकार ने शरण प्रदान की थी. यहां तक कि किसी भी घरेलू कानून में \'शरण\' शब्द का उल्लेख नहीं है.

भारत ने शरणार्थियों के स्तर से संबंधित 1951 की संयुक्त राष्ट्र शरण संधि, या 1967 के इसके प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं जो मेजबान देशों द्वारा शरणार्थियों को दिए जाने वाले अधिकारों तथा सेवाओं को तय करता है.



बुगती बलूच रिपब्लिकन पार्टी के अध्यक्ष और संस्थापक हैं. वह पाकिस्तानी सेना द्वारा 2006 में मारे गए बलूच राष्ट्रवादी नेता नवाब अकबर बुगती के पौत्र हैं.

पाकिस्तान सरकार ने आरोप लगाया था कि 2010 में अफगानिस्तान के जरिए बुगती के पाकिस्तान से जिनेवा भागने में भारत ने मदद की थी.

भारत में शरण दिए जाने की स्थिति में बुगती को दीर्घकालिक वीजा दिया जा सकता है जिसकी हर साल समीक्षा की जाएगी.

एक अधिकारी ने कहा कि अन्य परिदृश्य यह है कि उन्हें पंजीकरण प्रमाणपत्र मिलेगा जिसे वह यात्रा दस्तावेज के रूप में इस्तेमाल कर विश्व में कहीं भी यात्रा कर सकेंगे.
   
बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन हर साल समीक्षा किए जाने वाले दीर्घकालिक वीजा पर ही 1994 से भारत में रह रही हैं.

 

 

भाषा


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