फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए वैज्ञानिक उपायों की जरूरत: प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घटती जमीन और सिमटते जल संसाधनों को ध्यान में रखते हुए फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए शोधकर्ताओं से इसका वैज्ञानिक हल निकालने की अपील की. साथ ही, उन्होंने सही पक्षों को साथ लाने की जरूरत पर जोर दिया
फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए वैज्ञानिक उपायों की जरूरत : प्रधानमंत्री |
वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की प्लेटिनम जयंती के मौके पर वैज्ञानिकों को अपने संबोधन में मोदी ने कहा, ‘‘अब हम 75 वें साल में हैं..हम समय पर काम पूरा करने के एक सूत्री एजेंडा को आगे बढ़ा रहे हैं.’’
उन्होंने पानी और भूमि संसाधनों के घटने का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘मैंने हमेशा ही प्रति बूंद अधिक फसल की बात कही है. हमें अवश्य ही एक इंच जमीन और अनाज की अधिक बालियों के बारे में सोचना चाहिए.’’
मोदी सीएसआईआर के अध्यक्ष भी हैं. उन्होंने वैज्ञानिकों से सब्जियों का उत्पादन बढ़ाने पर काम करने को कहा जिससे न सिर्फ घरेलू जरूरतें पूरी होंगी बल्कि, निर्यात भी होगा.
प्रधानमंत्री ने वैज्ञानिकों से विशेष तौर पर स्वास्थ्य, कृषि, जल संसाधन, कूड़ा कचरा प्रबंधन और गंगा की सफाई के क्षेत्र में नवोन्मेषी शोध करने की अपील की.
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उन्होंने प्रौद्योगिकी व्यापार को आसान बनाने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि सीएसआईआर सही पक्षों को लाए, ताकि प्रौद्योगिकी का फायदा आम आदमी तक पहुंच सके.
प्रधानमंत्री ने पूछा, ‘‘कोई प्रौद्योगिकी तब सफल मानी जाती है जब यह आम आदमी को फायदा पहुंचाती हो. हम बराबर चीजों का आविष्कार करते हैं लेकिन आम आदमी इससे अनजान होता है. क्या इसे आम आदमी की जरूरतों के मुताबिक संशोधित किया जा सकता है?’’
उन्होंने सीएसआईआर से खेल शोध और लंबे समय तक चलने वाली मोबाइल बैटरियों का विनिर्माण करने जैसे क्षेत्रों को तलाशने को कहा.
प्रधानमंत्री ने शोध संस्थानों, उद्योग, एनजीओ, सेवा प्रदाता और उपभोक्ता के बीच एक ‘वेल्यू चेन’ बनाने की जरूरत पर भी जोर दिया.
मोदी ने शोध कोष को अधिक प्रभावी तरीके से इस्तेमाल करने का प्रस्ताव किया और कहा कि मंत्रालय एक वेबसाइट बनाए जिस पर उन सभी शोध अनुदान और कार्य का विवरण हो, जो विभिन्न प्रयोगशालाओं में वैज्ञानिकों के पास हैं.
उन्होंने कहा कि यह इस बात को सुनिश्चित करेगा कि शोध में दोहराव नहीं होगा जिससे समय और धन दोनों की बचत होगी.
मोदी ने कहा कि सरकार का इरादा किसानों की आय साल 2022 तक दोगुना करने की है जिसके लिए उन्होंने वैज्ञानिकों से फसल की कुछ नयी किस्मों का विकास करने को कहा.
उन्होंने कहा, ‘‘यदि आप दाल की किस्में विकसित कर सकते हैं तो इसका इस्तेमाल वर्षा सिंचित इलाकों में किया जा सकता है और उत्पादन को बढ़ावा मिल सकता है. यह शरीर में प्रोटीन की कमी को दूर करने में भी मदद करेगा.’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि 21 वीं सदी प्रौद्योगिकी चालित सदी है और यह इस सदी में विज्ञान को आम लोगों से जोड़ने की जरूरत है.
मोदी ने आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश, असम और जम्मू कश्मीर के किसानों से भी बात की.
उन्होंने कहा कि मौजूदा जरूरतों पर विचार करते हुए प्रौद्योगिकी का विकास करना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘‘कभी कभी हम उन चीजों पर शोध जारी रखते हैं जिनका इस्तेमाल 50 या 100 साल बाद होगा. हमें विज्ञान का इस्तेमाल उन समस्याओं से लड़ने के लिए करना चाहिए, जिसका अभी हम सामना कर रहे हैं. यह भारत जैसे देश के लिए बहुत जरूरी है.’’
स्वास्थ्य क्षेत्र में सीएसआईआर के शानदार काम करने का जिक्र करते हुए मोदी ने पूछा कि संस्थान टीबी, डेंगू, मलेरिया और चिकुनगुनिया जैसे रोगों से लड़ने में कैसे मदद कर सकते हैं.
मोदी ने कहा, ‘‘इन क्षेत्रों में समय पर पूरा होने वाले शोध करने की जरूरत है. क्या हम एक ऐसा ‘टेस्ट किट’ विकसित कर सकते हैं जो रोगों का पता लगाने में मदद कर सके. चिकित्सा विज्ञान प्रौद्योगिकी चालित बन गया है और यहां एक अवसर है.’’ उन्होंने कहा कि क्या ये सब मुद्दे बड़े पैमाने पर हल हो सकते हैं.
मोदी ने कहा कि दुनिया योग और आयु्र्वेद के बारे में बात कर रही है. उन्होंने पूछा कि क्या इस क्षेत्र में शोध हो सकते हैं.
उन्होंने गरीबों की बीमारियों के लिए अस्वच्छता को एक बड़ा कारण बताते हुए वैज्ञानिकों से कचरे का उपयोग करने के तरीके खोजने की अपील की.
प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके साथ हम पेयजल की समस्या को दूर कर सकते हैं.
उन्होंने शांतिस्वरूप भटनागर पुरस्कार पाने वालों से अनुरोध किया कि वे किसी स्कूल या कॉलेज के छात्रों का मार्गदर्शन करें और राष्ट्र को तोहफे में वैज्ञानिक दें.
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