मोदी ने कही 'मन की बात'- उरी के दोषी सजा पाकर ही रहेंगे

Last Updated 25 Sep 2016 10:52:21 AM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को अपने रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के जरिए देशवासियों को संबोधित कर रहे हैं. मोदी ने अपने 'मन की बात' की शुरुआत उरी हमले के जिक्र के साथ की.


मोदी के 'मन की बात'

उन्होंने कहा कि उरी आतंकी हमले में हमने 18 वीर सपूतों को खो दिया. मैं इन सैनिकों को नमन करता हूं और श्रद्धांजलि देता हूं.

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘यह क्षति सिर्फ उन परिवारों की नहीं है जिन्होंने अपने बेटे, भाई और पति खोए हैं. यह क्षति संपूर्ण देश की है. इसलिए आज मैं वही कहूंगा जो मैंने उस दिन (घटना के दिन) भी कहा था और आज फिर दोहराता हूं कि दोषियों को निश्चित रूप से दंडित किया जाएगा.’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें अपनी सेना पर भरोसा है कि देशवासी सुख-चैन की जिंदगी जी सकें, इसके लिए वे पराक्रम की पराकाष्ठा करने वाले लोग हैं. सेना अपने पराक्रम से इस तरह के सभी षडयंत्रों को विफल कर देगी.

सेना बोलती नहीं, सेना पराक्रम करती है

उन्होंने कहा, हमें अपनी सेना पर गर्व है. हम नागरिकों के लिए, राजनेताओं के लिए, बोलने के कई अवसर होते हैं, हम बोलते भी हैं, लेकिन सेना बोलती नहीं है. सेना पराक्रम करती है.

प्रधानमंत्री ने 11वीं कक्षा के एक छात्र का संदेश पढ़ा जिसने उरी की घटना को लेकर आक्रोश प्रकट किया था और इसको लेकर कुछ करने की इच्छा जताई थी. इस छात्र ने काफी सोचने के बाद यह संकल्प लिया कि वह रोजाना तीन घंटे अतिरिक्त पढ़ाई करेगा ताकि देश के लिए योगदान दे सके.

मोदी ने इस छात्र के ‘रचनात्मक विचार’ की सराहना करते हुए कहा, ‘‘देश के लोगों में जो आक्रोश है, उसका बहुत महत्व है. यह देश के जागने का प्रतीक है. यह आक्रोश कुछ करने जैसा है.. जब 1965 युद्ध (पाकिस्तान के साथ) शुरू हुआ था तब लाल बहादुर शास्त्री देश का नेतृत्व कर रहे थे, उस समय देश में इसी तरह की भावना और आक्रोश था. वह देशभक्ति का ज्वार था.’’

उन्होंने कहा, ‘‘उस समय लाल बहादुर शास्त्री जी ने बहुत ही उत्तम तरीके से देश के इस भाव से वि को स्पर्श कराने का प्रयास था. उन्होंने जय जवान, जय किसान का मंत्र देकर आम लोगों को देश के लिए कुछ करने को प्रेरित किया था.

मोदी ने कहा, ‘‘सेना को अपना उत्तरदायित्व निभाना चाहिए, हमें सरकार में अपना कर्तव्य निभाना चाहिए और नागरिकों को देशभक्ति की भावना के साथ रचनात्मक योगदान देना चाहिए. इसके बाद ही राष्ट्र निश्चित तौर पर नयी ऊंचाइयों पर पहुंचेगा.’’

कश्मीर के नागरिक देश-विरोधी ताकतों को समझने लगे हैं

अपने 35 मिनट के संबोधन में प्रधानमंत्री ने कश्मीर के लोगों से भी विशेष तौर पर बात करने की कोशिश की.

मोदी ने कहा, कश्मीर के नागरिक देश-विरोधी ताकतों को समझने लगे हैं, वे ऐसे तत्वों से अपने-आप को अलग करके शांति के मार्ग पर चल पड़े हैं.

मोदी ने कहा कि सभी मां-बाप की इच्छा है कि कश्मीर में स्कूल और कॉलेज सही ढंग से काम करना आरंभ कर दें और किसान चाहते हैं कि उनके उत्पाद देश के बाजारों में पहुंचे.

उन्होंने कहा, ‘‘आर्थिक गतिविधियां उचित ढंग से होनी चाहिए. पिछले कुछ दिनों से व्यापारिक गतिविधियां शुरू हो गई हैं.’’

मोदी ने कहा, ‘‘यह हम सभी जानते हैं कि शांति, एकता और सद्भावना हमारी समस्याओं को हल करने तथा प्रगति और विकास सुनिश्चित करने का माध्यम हैं. हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए हमें विकास की नयी ऊंचाइयों पर पहुंचना होगा. मुझे पूरा भरोसा है कि हम बातचीत के माध्यम से सभी मुद्दों को हल कर लेंगे.’’

पैरालंपिक खिलाड़ियों की तारीफ की

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पैरालंपिक में मेडल जीतने वालों की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस बार के पैरालंपिक में दिव्यांगजनों ने जनरल ओलंपिक के रेकॉर्ड तोड़ दिए हैं. पैरालंपिक में भारत के प्रदर्शन ने दिव्यांगजनों के प्रति लोगों की सोच बदली है.

मोदी ने कहा, देश के सभी नागरिकों में पैरालंपिक में हमारे खिलाड़यिों के प्रति एक भावनात्मक लगाव हुआ है. इस पैरालंपिक में हमारे खिलाड़ियों के प्रदर्शन ने मानवता के दृष्टिकोण और दिव्यांगों को देखने का नजरिया ही बदल दिया है.

प्रधानमंत्री ने रियो पैरालंपिक के गोला फेंक एफ-53 स्पर्धा में रजत पदक जीतकर इतिहास रचने वाली महिला एथलीट दीपा मलिक की तारीफ करते हुये कहा, मैं बहन दीपा मलिक की इस बात को कभी नहीं भूल पाऊंगा, जब उन्होंने पदक जीतने के बाद कहा था कि इस पदक से मैंने विकलांगता को ही पराजित कर दिया है. उन्होंने कहा कि दिव्यांगों में इच्छा शक्ति और संकल्प शक्ति का होना बहुत बड़ी बात है.

मोदी ने भाला फेंक में स्वर्ण पदक जीतने वाले देवेन्द्र झाझरिया की तारीफ करते हुये कहा, झाझरिया ने 12 साल में देश को दो स्वर्ण दिलाये. एक बार स्वर्ण जीतने के बाद जज्बा कुछ कम हो जाता है लेकिन उन्होंने दिखा दिया कि शरीर की अवस्था और उम्र का बढ़ना, उनके संकल्प को कभी भी ढीला नहीं कर सकता. जो इंसान 23 साल की उम्र में पहला स्वर्ण पदक प्राप्त करे और 35 साल की उम्र में दूसरा. उसने जीवन में कितनी बड़ी साधना की होगी.

पीएम ने इसके अलावा ऊंची कूद में स्वर्ण पदक जीतने वाले मरियप्पन थांगावेलु और इसी स्पर्धा में कांस्य पदक हासिल करने वाले वरुण सी भाटी की भी जमकर तारीफ की. उन्होंने कहा कि इनके प्रदर्शन ने हमारी संवेदनाओं को तो जगाया ही है, साथ ही इन दिव्यांगजनों के प्रति देखने के दृष्टिकोण को भी बदला है. उन्होंने कहा, मैं एक बार फिर हमारे इन सभी खिलाड़ियों को बहुत-बहुत बधाई देता हूँ. आने वाले दिनों में भारत पैरालंपिक के विकास के लिये एक सुचारु योजना बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है.

प्रधानमंत्री ने इस दौरान दो अक्टूबर को गांधी जयंती के मौके पर लोगों से खादी से बने उत्पाद खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया. उन्होंने कहा, मैं हमेशा ही लोगों को खादी खरीदने के लिए प्रोत्साहित करता हूं. आइए, इस गांधी जयंती पर खादी से बने उत्पाद खरीदें जिससे इससे जुड़े गरीबों की मदद हो सके.

भारत में 2 वर्षों में 2.5 करोड़ शौचालय बनाए गए

प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार का सफाई अभियान पिछले दो वर्षों में बेहद सफल रहा है. इस दौरान भारत को खुले में शौच से मुक्त कराने के लिए करीब 2.5 करोड़ शौचालयों का निर्माण किया गया है. मोदी ने कहा, "मैंने दो साल पहले बापू जयंती (गांधी जयंती) के मौके पर स्वच्छ भारत अभियान शुरू किया था. इस अभियान की मदद से देश के 125 करोड़ लोगों में सफाई के बारे में जागरुकता बढ़ी है."

उन्होंने कहा, "हमने इन दो वर्षों में ग्रामीण इलाकों में 2.48 करोड़ शौचालयों का निर्माण किया है. अगले साल और 1.5 करोड़ शौचालयों का निर्माण किया जाएगा."

प्रधानमंत्री ने सफाई अभियान की प्रगति के बारे में लोगों को जानकारी देने के लिए एक टॉल फ्री हेल्पलाइन 'स्वच्छ' भी लॉन्च की है. 1969 पर फोन करके इस संबंध में जानकारी प्राप्त की जा सकती है.

उन्होंने कहा, "आपके इलाके में काम करने के आग्रह के लिए भी इस नम्बर का इस्तेमाल किया जा सकता है."

मोदी ने जनता से सफाई अभियान से जुड़ने और नरेंद्र मोदी एप पर इससे जुड़ी तस्वीरें और वीडियो भेजने की अपील की.

 

समयलाइव डेस्क एजेंसी इनपुट के साथ


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