हरियाणा जमीन घोटाला: न्यायिक आयोग ने रिपोर्ट सौंपी, वड्रा डील में गड़बड़ी

Last Updated 31 Aug 2016 08:45:32 PM IST

हरियाणा में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वड्रा की कथित संलिप्तता वाले भूमि सौदों की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग ने अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी.


रॉबर्ट वड्रा
आयोग ने परोक्ष रूप से सौदों में अनियमितताएं पायी हैं.
     
दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति एस एन ढींगरा ने 182 पृष्ठों वाली रिपोर्ट मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को सौंप दी. 15 महीने पहले न्यायमूर्ति ढींगरा को तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल के दौरान गुड़गांव में हुए भूमि सौदों की जांच के लिए नियुक्त किया गया था.
     
न्यायमूर्ति ढींगरा ने रिपोर्ट की सामग्री की जानकारी देने से इनकार करते हुए संकेत दिया कि क्षेत्र में भूमि लाइसेंस प्रदान करने में उन्हें स्पष्ट अनियिमितताएं मिलीं हैं. भूमि सौदे 2014 में लोकसभा चुनाव और हरियाणा में विधानसभा चुनाव के दौरान एक प्रमुख मुद्दा बन गये थे.
     
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें कोई अनियमितता मिली, न्यायमूर्ति ढींगरा ने कहा, ‘‘यदि कोई अनियमितता नहीं होती मैंने यह उल्लेख करते हुए एक पंक्ति की रिपोर्ट दी होती कि कोई अनियमितता नहीं थी. मेरी रिपोर्ट में 182 पृष्ठ हैं. उसके (अनियमितता) बिना, मेरे पास 182 पृष्ठ लिखने का कोई कारण नहीं था.’’
     
अनियमितताओं में लिप्त कंपनियों के बारे में पूछे गए एक सवाल पर उन्होंने कहा, ‘‘मुझे नहीं पता कि आप (मीडिया) किस विशेष कंपनी के बारे में बात कर रहे हैं. मुझे लाइसेंस प्रदान करने में अनियमितता की जांच करने की जिम्मेदारी दी गई थी.’’
     
खट्टर सरकार ने गुड़गांव के सेक्टर 83 में वाणिज्यिक कालोनियां विकसित करने के लिए टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग द्वारा कुछ इकाइयों को लाइसेंस प्रदान करने से संबंधित मुद्दों की जांच के लिए 14 मई 2015 को एक सदस्यीय आयोग का गठन किया था. इसमें रॉबर्ट वड्रा के स्वामित्व वाली कंपनी मेसर्स स्काईलाइट हास्पीटैलिटी और रिएलिटी कंपनी डीएलएफ के बीच भूमि सौदे का दाखिल खारिज भी शामिल है. 
     
न्यायमूर्ति ढींगरा ने कहा कि रिपोर्ट पर कार्य करना सरकार पर है जिसमें उसे राज्य विभानसभा में पेश करके उसे सार्वजनिक करना शामिल है.
     
उन्होंने कहा, ‘‘मैं रिपोर्ट की सामग्री का खुलासा नहीं कर सकता. यह राज्य सरकार की सम्पत्ति है जो रिपोर्ट को सार्वजनिक करने के समय पर निर्णय करेगी.’’ आयोग को अभी तक तीन महीने का विस्तार दिया जा चुका है. 
     
 
यह पूछे जाने पर कि क्या कोई सरकार अधिकारी या निजी व्यक्ति अनियमितता में शामिल था, न्यायमूर्ति ढींगरा ने कहा, ‘‘मैंने लाइसेंस प्रदान करने में अनियमितता और इसकी जांच की है ये अनियमितताएं कैसे की गईं और किन व्यक्तियों को इससे लाभ हुआ.’’
     

उन्होंने कहा, ‘‘बाकी जहां तक अभ्यारोपण का सवाल है तो यह राज्य सरकार पर है कि उसे किस मामले में आगे बढ़ना है और किस मामले में आगे नहीं बढ़ना है. यह राज्य का विशेषाधिकार है.’’

 

    
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने एक-एक व्यक्ति का नाम लिया है जो कि जिम्मेदार है चाहे निजी हो या सरकारी. जो भी अनियमितता में शामिल था उसका उल्लेख (रिपोर्ट में) और उसकी भूमिका का उल्लेख किया गया है. मैं इसके आगे आपको नहीं बताऊंगा कि वे कौन थे और उनकी भूमिका क्या थी.’’
     
न्यायमूर्ति ढींगरा ने कहा कि उनकी रिपोर्ट दो हिस्सों में है जिसमें निष्कर्ष और सबूत हैं.
     
उन्होंने कहा, ‘‘रिपोर्ट में दो खंड हैं. एक निष्कर्ष का है और दूसरा सबूत का है. तीसरे हिस्से में कुछ दस्तावेज है जो मुझे 30 जून को मिले थे जिसे मुझे जांच करनी थी और मैंने रिपोर्ट में उसकी जांच का उल्लेख किया है.’’
     
उन्होंने कहा, ‘‘यह रिपोर्ट उन सभी विषयों के बारे में है जो मुझे सौंपे गए थे और मैंने अपनी रिपोर्ट में सभी मुद्दों और उन सभी सबूत के बारे में विस्तार से उल्लेख किया जो मुझे फाइलों से मिली.’’
 
 

न्यायमूर्ति ढींगरा ने हालांकि अपनी रिपोर्ट का निष्कर्ष साझा करने से इनकार कर दिया और कहा कि इसे सार्वजनिक करना सरकार पर है. उन्होंने कहा, ‘‘यदि सरकार इसे सार्वजनिक करना चाहेगी तो आपको (मीडिया) यह मिल जाएगी.’’
     
यह पूछे जाने पर कि क्या इस रिपोर्ट को चुनौती दी जा सकती है, न्यायमूर्ति ढींगरा ने कहा, ‘‘यदि आप इस देश का कानून जानते हैं तो जो आदेश पूरी तरह से कानूनी है उसे चुनौती भी जा सकती है.’’
     
एक अन्य सवाल पर उन्होंने कहा, ‘‘यदि आपने कैग रिपोर्ट पढ़ी है तो मैं कहूंगा कि कैग रिपोर्ट एक छोटा पहलू थी. यह विस्तृत रिपोर्ट है जिसमें सभी पहलुओं को शामिल किया गया है.’’
     
यह पूछे जाने पर कि क्या वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अशोक खेमका को बुलाया गया था, न्यायमूर्ति ढींगरा ने कहा, ‘‘यदि मुझे खेमका को बुलाना होता, मैंने उन्हें बुलाया होता, मुझे उनकी जरूरत नहीं थी. जिसकी भी जरूरत थी उसे बुलाया गया.’’
     
कांग्रेस के आरोप के बारे में पूछे जाने पर कि रिपोर्ट को जानबूझकर सार्वजनिक किया गया और यह कि उन्होंने हरियाणा सरकार से लाभ लिये हैं, न्यायमूर्ति ढींगरा ने कहा, ‘‘आप (मीडिया) उन आरोपों को चला सकते हैं..मैं क्या कह सकता हूं.’’
     
58 करोड़ रूपये का सौदा गुड़गांव के शिकोहपुर गांव में 3.5 एकड़ जमीन से संबंधित था जो कि वड्रा की ओर से डीएलएफ को बेची गई थी.
 

 



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