विजयादशमी पर औपचारिक रूप से नया गणवेश को धारण करेंगे संघ स्वयंसेवक

Last Updated 30 Aug 2016 06:15:41 PM IST

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पहचान बन चुकी खाकी निकर की जगह ट्राउजर के साथ संघ का नया गणवेश आगामी 11 अक्तूबर को संगठन के स्थापना दिवस से पहले स्वयंसेवकों को उपलब्ध कराया जाएगा.


नया गणवेश धारण करेंगे स्वयंसेवक
 
 
नागपुर संघ मुख्यालय के साथ देशभर में अन्य स्थानों पर विजया दशमी समारोहों में स्वयंसेवक इस नयी पोशाक में शामिल होंगे.
    
संघ के सूत्रों ने बताया कि पहले चरण में करीब सात लाख स्वयंसेवकों को ट्राउजर दिये जाएंगे जिसे इसकी पोशाक में बदलाव के साथ शामिल किया गया है. संघ में इसे गणवेश कहा जाता है.
    
संघ औपचारिक रूप से दशहरे से नये ‘गणवेश’ को अपनाएगा और 10,000 पोशाकों के सेट की पहली खेप यहां पहुंच चुकी है और शहर के रेशमबाग की एक दुकान पर इसे बेचा जा रहा है. संघ के वेश में सफेद शर्ट, काली टोपी, कैनवास की बेल्ट, मोजे, काले जूते के साथ दंड और गहरे खाकी रंग का ट्राउजर शामिल है.
    
90 साल पुरानी वेशभूषा को बदलने का फैसला इस साल मार्च में संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की वार्षिक बैठक में लिया गया था.
    
सूत्रों ने कहा कि इससे पहले करीब एक दशक तक इस बारे में विचार-विमर्श किया गया, देशभर में जमीनी स्तर पर प्रतिक्रियाएं ली गयीं और आंतरिक सर्वेक्षण किये गये.
    
संघ ने 1940 में खाकी कमीज की जगह सफेद शर्ट को अपनी पोशाक में शामिल किया था. इसके बाद 2010 में मोटे चमड़े की बेल्ट की जगह कैनवास की बेल्ट अपनाई गयी.
    
करीब 250 रुपये कीमत की पतलून राजस्थान में संघ के एक स्वयंसेवक ने डिजाइन की और उनके 40 लोगों के दल ने करीब 50,000 ट्राउजर इस विजया दशमी तक नागपुर मुख्यालय पहुंचाने की योजना बनाई है.
    
पतलूनों की सिलाई गुड़गांव में की गयी है और इसके लिए कपड़ा राजस्थान के भीलवाड़ा से खरीदा गया था.
    
सोमवार को संघ के पदाधिकारी मनमोहन वैद्य ने कहा था कि करीब दो लाख ट्राउजर कई राज्यों में संघ के कार्यालयों पर पहुंच चुके हैं और इसे स्वयंसेवकों को उपलब्ध कराया जा रहा है.
 
 



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