पश्चिम बंगाल विधानसभा ने राज्य का नाम बदलने का प्रस्ताव किया पारित, भाजपा विरोध में उतरी

Last Updated 29 Aug 2016 08:50:54 PM IST

पश्चिम बंगाल विधानसभा ने राज्य का नाम बदलकर बांग्ला भाषा में ‘बांग्ला’, अंग्रेजी में ‘बेंगाल’ और हिन्दी में ‘बंगाल’ करने के एक प्रस्ताव को पारित कर दिया.


मुख्यमंत्री ममता बनर्जी
 
कांग्रेस, भाजपा और वामदलों समेत विपक्ष ने इस कदम का विरोध किया.
      
भाजपा ने नाम परिवर्तन के औचित्य पर सवाल उठाया जबकि कांग्रेस ने मांग की कि इस मुद्दे पर व्यापक जनमत लिया जाए या इस पर फैसला करने के लिए एक समिति बनायी जाए.
      
दूसरी तरफ वाममोर्चा ने कहा कि इस पर निर्णय लेने के लिए एक सर्वदलीय बैठक होनी चाहिए. 
     
सोमवार को संसदीय कार्यमंत्री पार्थ चटर्जी ने नियमावली 169 के तहत यह प्रस्ताव पेश किया. प्रस्ताव कहता है कि राज्य का नाम बांग्ला भाषा में ‘बांग्ला’, अंग्रेजी में ‘बेंगाल’ तथा हिंदी में ‘बंगाल’ होगा. इस प्रस्ताव के पक्ष में 189 वोट पड़े जबकि विरोध में 31 मत पड़े.
      
इस प्रस्ताव पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, ‘‘बांग्ला नाम की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि है. मुझे ‘बौंगो’ नाम पर भी कोई दिक्कत नहीं है. लेकिन ज्यादातर लोग ‘बांग्ला’ नाम चाहते हैं. अंग्रेजी में यह ‘बेंगाल’ होगा ताकि पड़ोसी देश बांग्लादेश के साथ कोई भ्रम नहीं हो.’’
      
ममता ने कहा, ‘‘जब भी हम भारत के बाहर या किसी अन्य राज्य में जाते हैं, हम बंगाल के निवासी के रूप में जाने जाते हैं. वर्ष 2011 में हमने राज्य का नाम बदलने का प्रस्ताव रखा था लेकिन उसे केंद्र ने रोक लिया. इस संबंध में कोई फैसला नहीं हो सका अतएव हमने राज्य का नाम बदलकर ‘बांग्ला’ करने के लिए एक बार फिर प्रस्ताव लाने का फैसला किया.’’
     
बाद में संवाददाताओं से उन्होंने कहा, ‘‘जो लोग बस राजनीति के लिए इस नाम परिवर्तन का विरोध कर रहे हैं, उन्हें शर्म आनी चाहिए. यह एक ऐतिहासिक भूल है और इतिहास उन्हें नहीं माफ करेगा.’’
     
उन्होंने कहा, ‘‘इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि किसने इसका विरोध किया. पश्चिम बंगाल विधानसभा ने इसे पारित किया है.’’
     
ममता ने कहा कि यह मामला अब केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा और तब वह इसे संसद में पेश करेंगी.
     
उन्होंने कहा, ‘‘मैं केंद्र सरकार से इस मामले पर आगे बढने का अनुरोध करूंगी ताकि इसे संसद के सामने रखा जा सके. हम इसे यथासंभव जल्दी रखना चाहते हैं.’’ 
      
उन्होंने कहा कि उन्होंने इस संबंध में केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह से बात की है. उन्होंने कहा, ‘‘मैंने उनसे कहा कि हमने विधानसभा में इसे पारित कराया है. अब आप इसपर आगे बढ़िए.’’
     
ममता ने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और विधायक दिलीप घोष की उनकी हाल की इस टिप्पणी के लिए आलोचना की कि वह इसे पारित नहीं होने देंगे.
     
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘मैं देखूंगी कि कैसे वह रोक सकते हैं. मैं केंद्रीय गृहमंत्री से बात करूंगी. वह (दिलीप घोष) रोकने वाले कौन होते हैं?’’
     
विपक्ष के नेता अब्दुल मन्नान ने कहा कि कांग्रेस चाहती है कि इस मुद्दे पर व्यापक मतदान हो या फिर इस पर निर्णय के लिए एक समिति बनायी जाए. 
     
मन्नान के बयान पर ममता ने कहा कि हमने व्यापक मतदान कराया और नतीजा सामने है.
     
वाममोर्चा के विधायक दल के नेता सुजन चक्रवर्ती ने कहा, ‘‘हम नये नाम ‘बांग्ला’ के विरूद्ध नहीं हैं लेकिन हमें अचरज होता कि राज्य के तीन नाम कैसे हो सकते हैं, एक बंगाली में, दूसरा अंग्रेजी में और तीसरा हिंदी में.’’
      
उन्होंने कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश को सभी भाषाओं में उत्तर प्रदेश ही कहा जाता है न कि अंग्रेजी में नार्दन प्रोविंस.’’
      
भाजपा विधायक घोष ने यह कहते हुए नाम परिवर्तन का विरोध किया कि यह राज्य जिस विभाजन से गुजरा है, यह कदम उस दंश के इतिहास को मिटाने की कोशिश है. 
      
उन्होंने कहा, ‘‘हमने इस मुद्दे पर पहले ही अपना रूख स्पष्ट कर दिया है. हम केंद्र सरकार से भी कहेंगे कि राज्य को सभी भाषाओं में ‘पश्चिमबंग’ कहा जाना चाहिए.’’
      
हालांकि भाजपा नेता एवं केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने ‘बांग्ला’ नाम का समर्थन किया लेकिन पार्टी के राष्ट्रीय सचिव राहुल सिन्हा ने इसे उनकी निजी राय बताकर खारिज कर दिया.      
 



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