पाक आतंक का प्रमुख साजिशकर्ता : भारत
भारत और पाकिस्तान के बीच वाक्युद्ध और तेज होने के बीच भारत ने शुक्रवार को पाकिस्तान से कहा कि सीमापार आतंकवाद को समर्थन देने की बात से वह लगातार ‘इनकार’ नहीं करता रहे.
विदेश सचिव एस जयशंकर |
विदेश सचिव एस जयशंकर ने बातचीत के लिए पाकिस्तान के विदेश सचिव एजाज अहमद चौधरी के गत 19 अगस्त के ताजा आमंत्रण का जवाब देते हुए एक बार फिर पाकिस्तान द्वारा उसके कब्जे वाले कश्मीर पर अवैध कब्जे को जल्द से जल्द समाप्त करने की जरूरत पर बल दिया.
उन्होंने साथ ही कहा कि केवल भारत ही नहीं व्यापक क्षेत्र इस बात से अवगत है कि पाकिस्तान वास्तव में आतंकवाद का एक ‘प्रमुख साजिशकर्ता’ है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा कि विदेश सचिव ने स्पष्ट कर दिया है कि भारत पाकिस्तान से उसके द्वारा प्रोत्साहित सीमापार आतंकवाद और हिंसा भड़काने पर रोक के एजेंडे के साथ एक परिणामोन्मुखी वार्ता चाहता है.
जयशंकर ने इन मुद्दों पर परस्पर रूप से सुविधाजनक समय पर वार्ता के लिए उपलब्ध होने की अपनी सहमति व्यक्त की. हालांकि साथ ही यह भी उल्लेख किया कि आतंकवाद को जायज ठहराना और भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप परिणामोन्मुखी वार्ता के लिए शायद ही गंभीर आधार हैं.
दक्षेस बैठक में वित्त मंत्री के मौजूद नहीं रहने के बारे में पूछे जाने पर स्वरूप ने कहा, आतंकवादियों को समर्थन, सुरक्षित पनाहगाह मुहैया कराना और अच्छे और बुरे आतंकवादियों के बीच अंतर करने से क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता को काफी खतरा पैदा हुआ है. पत्र में विदेश सचिव ने उम्मीद जताई कि पाकिस्तान सरकार अपने रुख पर पुनर्विचार करेगी और अच्छे पड़ोसी का धर्म निभायेगा और शांतिपूर्ण सहअस्तित्व को प्रोत्साहित करने की दिशा में ईमानदारी दिखाएगा.
जयशंकर ने अपने पत्र में लिखा है, इससे ऐसे क्षेत्र में भी एक व्यापक संदेश जाएगा जो पाकिस्तान से उत्पन्न होने वाली नीतियों से काफी परेशान है. स्वरूप ने कहा कि विदेश सचिव ने यह भी दोहराया कि दोनों देशों के बीच और चर्चा का आधार 1972 का शिमला समझौता, 1999 का लाहौर घोषणा पत्र और 2004 का संयुक्त बयान है.
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