पैलेट गन का विकल्प जल्द

Last Updated 26 Aug 2016 06:31:52 AM IST

केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि कुछ ही दिनों में पैलेट गनों का विकल्प तलाश कर लिया जाएगा.


केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती (फाइल फोटो)

अपने कश्मीर दौरे के दूसरे दिन सिंह ने संवाददाताओं से कहा, \'हम भारत के भविष्य को आकार देना चाहते हैं. अगर कश्मीर का भविष्य अनिश्चित है तो भारत के भविष्य को भी आकार नही दिया जा सकता.\' उनके  साथ मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती भी मौजूद थीं.

हिंसक प्रदर्शनकारियों पर पैलेट गनों का उपयोग किए जाने के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में गृह मंत्री ने कहा कि जैसा कि उन्होंने कश्मीर घाटी की अपनी पिछली यात्रा में वादा किया था, उन्होंने एक विशेषज्ञ समिति गठित की है जो दो माह में रिपोर्ट देगी. उन्होंने कहा, \'अभी केवल एक माह ही हुआ है और समिति की रिपोर्ट दो या तीन दिन में मिल जाएगी. कुछ ही दिन में हम पैलेट गनों का एक विकल्प देंगे.\'

गृह मंत्री ने संकेत दिया कि राजग सरकार बातचीत के लिए तैयार है. यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार हुर्रियत से बात करना चाहती है, उन्होंने सीधा जवाब देने से बचते हुए कहा \'\'मैं सिर्फ यह कहूंगा कि हम जम्हूरियत, कश्मीरियत और इन्सानियत के दायरे में बात करने के इच्छुक हैं.\'

गृह मंत्री ने कहा कि युवा बच्चे और युवा जिन्हें कलम और लैपटॉप हाथ में लेना चाहिए था, उन्होंने सुरक्षा बलों पर पथराव करने के लिए पत्थर उठा लिए. सिंह ने कहा \'यह कौन लोग हैं, उन्हें पत्थर हाथ में लेने की अनुमति किसने दी ? क्या वह लोग उनके (युवाओं के) भविष्य को आकार दे सकते हैं ? हम कश्मीरी बच्चों का भविष्य भारतीय बच्चों के भविष्य से जुड़ा हुआ देखते हैं.\' उन्होंने कहा \'मैं कश्मीरी लोगों से उन लोगों की पहचान करने की अपील करता हूं जो घाटी में ऐसे हालात पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं. द भाषा

95 फीसद लोग चाहते हैं शांतिपूर्ण हल : महबूबा

गृह मंत्री राजनाथ सिंह के साथ बृहस्पतिवार को प्रेस वार्ता कर रहीं महबूबा मुफ्ती ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की 95 प्रतिशत जनता बातचीत के जरिए शांतिपूर्ण हल चाहती है और केवल पांच फीसद लोग इस पूरी प्रक्रिया को पटरी से उतार रहे हैं. पत्थरबाजी और सुरक्षा शिविरों पर हमला करके कोई हल नहीं निकलने वाला. केंद्र सरकार और राजनीतिक पार्टियों का पूरा ध्यान उन 95 फीसद कश्मीरियों पर होना चाहिए, जो मुश्किलें खड़ी नहीं करना चाहते.

इससे पहले उन्होंने उस वक्त अपना आपा खो दिया, जब राज्य के मौजूदा संकट से निपटने में उनकी भूमिका से जुड़े गए सवाल पूछे गए. उन्होंने तुरंत प्रेस वार्ता खत्म कर दी. एक सवाल का जवाब देने के बाद महबूबा अचानक उठ खड़ी हुई और पत्रकारों को \'शुक्रिया\' कहा, जबकि राजनाथ वहां बैठे ही रहे. इसके बाद प्रेस वार्ता खत्म कर दी गई. उन्होंने कहा कि जब हिंसा पर उतारू भीड़ सुरक्षा बलों के शिविरों, पुलिस पिकेटों और पुलिस थानों पर हमले करेगी तो कुछ नुकसान तो होगा ही.

उन्होंने कहा, \'मारे गए लोगों में से 95 फीसद, जिनमें ज्यादातर नौजवान हैं, जवाबी कार्रवाई में उस वक्त मारे गए जब वे सुरक्षा इकाइयों पर हमले कर रहे थे.\' उन्होंने कहा, \'लोग सड़कों पर उतर आए. हमने कर्फ्यू लगाया. क्या बच्चे सेना के शिविरों में टॉफियां खरीदने गए थे ? दक्षिण कश्मीर के दमहाल हांजीपुरा में पुलिस थाने पर हमला करने वाला 15 साल का लड़का वहां दूध लेने गया था ?

 

 



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