उच्च न्यायालय ने पूछा, वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण के लिए राज्य सरकार को क्या कदम उठाने चाहिए?

Last Updated 25 Aug 2016 02:56:03 PM IST

बुजुर्गों के कल्याण को देखते हुए उनकी सुरक्षा एवं सुविधा सुनिश्चित करने के लिए सरकार को क्या कदम उठाने चाहिए इस संबंध में उच्च न्यायालय ने एनजीओ से अगली सुनवाई में लिखित में इस सुझाव के साथ एक हलफनामा दायर करने को कहा है


Bombay high court

इस बात पर गौर करते हुए कि वरिष्ठ नागरिकों के लिए कल्याणकारी योजनाओं या सुविधाओं को सिर्फ ऑनलाइन जारी करना ही पर्याप्त नहीं हो सकता है. न्यायमूर्ति शांतनु केमकर और मकरंद कार्णिक की एक खंडपीठ ने बूधवार गैर सरकारी संगठन ‘मिशन जस्टिस’ की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए ये बातें कहीं. याचिका में ‘माता पिता की देखभाल एवं कल्याण तथा नागरिक अधिनियम’ के बारे में वरिष्ठ नागरिकों के बीच जागरूकता फैलाने और इसके प्रभावी क्रियान्वयन की मांग की गई थी.

राज्य सरकार ने दावा किया कि उसने वरिष्ठ नागरिकों के लिए ऑनलाइन आवश्यक आंकड़े उपलब्ध कराए हैं और इन जानकारियों से बुजुर्ग लाभ उठा सकते हैं. बहरहाल, एनजीओ ने दावा किया कि अधिकतर वरिष्ठ नागरिक इंटरनेट या स्मार्ट फोन का इस्तेमाल नहीं करते हैं और इसलिए ऑनलाइन सूचना उनके लिए उपयोगी नहीं होगी.

याचिकाकर्ता के वकील सिद्धार्थ मुरारका ने बताया कि वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण के मकसद से उपलब्ध सूचना को हासिल करने के लिए उन्होंने स्वयं वेबसाइट को खंगाला था, लेकिन उन्हें बुजुर्ग के लिए ऐसी कोई जानकारी नहीं मिल सकी.

उन्होंने दलील दी कि सरकार को ऐसी जानकारियां पुलिस थानों, शॉपिंग मॉल और सार्वजनिक उद्यान जैसी सार्वजनिक जगहों पर प्रदर्शित करनी चाहिए, जहां वरिष्ठ नागरिक बराबर आते जाते रहते हैं.

एनजीओ ने सुझाव दिया कि बुजुर्ग के कल्याण के लिए योजनाओं को अखबारों एवं टेलीविजनों पर भी प्रचारित किया जाना चाहिए. इसके अलावा, उनके संबंधित इलाकों के दायरे में आने वाले पुलिस थानों एवं बैंकों की जानकारी भी उनके रहने के स्थान ‘सहकारी आवासीय सोसाइटी’ में प्रदर्शित की जानी चाहिए.

याचिकाकर्ता ने कहा कि इस तरह की सूचनाओं में वरिष्ठ नागरिकों के अधिकारों का भी उल्लेख होना चाहिए, ताकि वे इनसे वाकिफ हों और जरूरत पड़ने पर अपने मामले में इसका इस्तेमाल कर सकें.

बुजुर्गों के कल्याण को देखते हुए उनकी सुरक्षा एवं सुविधा सुनिश्चित करने के लिए सरकार को क्या कदम उठाने चाहिए इस संबंध में उच्च न्यायालय ने एनजीओ से अगली सुनवाई में लिखित में इस सुझाव के साथ एक हलफनामा दायर करने को कहा है.



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