राजनाथ ने कहा, कश्मीर के बिना अधूरा है भारत, पैलेट गनों का विकल्प कुछ ही दिन में

Last Updated 25 Aug 2016 01:01:04 PM IST

गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती से मुलाकात की. उन दोनों ने इस दौरान राज्य में जारी सुरक्षा संबंधी हालात पर चर्चा की.


कश्मीर: राजनाथ ने कहा, युवाओं के भविष्य से न खेलें

कश्मीर में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पैलेट गनों का उपयोग किये जाने से घाटी में बड़ी संख्या में लोगों की आंखों की रोशनी खत्म हो जाने की वजह से इन गनों की व्यापक आलोचना के मद्देनजर राजनाथ सिंह ने गुरुवार को कहा कि कुछ ही दिनों में पैलेट गनों का विकल्प तलाश कर लिया जाएगा.

जम्मू कश्मीर में गुरुवार को लगातार 48वें दिन जारी अशांति के बीच सिंह ने कहा कि कश्मीर के बिना भारत का कोई भविष्य नहीं है. उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की ‘कश्मीरियत, इन्सानियत और जम्हूरियत’ नीति दोहराते हुए यह संकेत देने की कोशिश की कि राजग सरकार किसी के भी साथ बातचीत करने के लिए तैयार है.

अपने कश्मीर दौरे के दूसरे दिन सिंह ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम भारत के भविष्य को आकार देना चाहते हैं. अगर कश्मीर का भविष्य अनिश्चित है तो भारत के भविष्य को भी आकार नही दिया जा सकता.’’

संवाददाता सम्मेलन में सिंह के साथ मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती भी मौजूद थीं.

'हम जम्हूरियत, कश्मीरियत और इन्सानियत के दायरे में बात करने के इच्छुक'

कश्मीर के लोगों तक पहुंचने की केंद्र की कोशिश के तहत सिंह का एक माह में कश्मीर का यह दूसरा दौरा है.

गृह मंत्री ने कहा कि पैलेट गनों के विकल्प पर विचार करने के लिए उनके द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट दो या तीन दिन में मिल जाने की उम्मीद है.

हिंसक प्रदर्शनकारियों पर पैलेट गनों का उपयोग किए जाने के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में गृह मंत्री ने कहा कि जैसा कि उन्होंने कश्मीर घाटी की अपनी पिछली यात्रा में वादा किया था, उन्होंने एक विशेषज्ञ समिति गठित की है जो दो माह में रिपोर्ट देगी.

उन्होंने कहा, ‘‘अभी केवल एक माह ही हुआ है और समिति की रिपोर्ट दो या तीन दिन में मिल जाएगी. कुछ ही दिन में हम पैलेट गनों का एक विकल्प देंगे.’’

सिंह ने कहा, ‘‘वर्ष 2010 में कहा गया था कि पैलेट गन गैर घातक हथियार है जिससे कम से कम नुकसान हो सकता है. लेकिन अब हमें लगता है कि इसका कोई विकल्प होना चाहिए.’’
गृह मंत्री ने संकेत दिया कि राजग सरकार बातचीत के लिए तैयार है.

यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार हुर्रियत से बात करना चाहती है, उन्होंने सीधा जवाब देने से बचते हुए कहा ‘‘मैं सिर्फ यह कहूंगा कि हम जम्हूरियत, कश्मीरियत और इन्सानियत के दायरे में बात करने के इच्छुक हैं.’’

'जिन्हें कलम और लैपटॉप हाथ में लेना चाहिए था, उन्होंने पत्थर उठा लिए'

गृह मंत्री ने कहा कि युवा बच्चे और युवा जिन्हें कलम और लैपटॉप हाथ में लेना चाहिए था, उन्होंने सुरक्षा बलों पर पथराव करने के लिए पत्थर उठा लिए.

सिंह ने कहा, ‘‘यह कौन लोग हैं, उन्हें पत्थर हाथ में लेने की अनुमति किसने दी? क्या वह लोग उनके (युवाओं के) भविष्य को आकार दे सकते हैं? हम कश्मीरी बच्चों का भविष्य भारतीय बच्चों के भविष्य से जुड़ा हुआ देखते हैं.’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं कश्मीरी लोगों से उन लोगों की पहचान करने की अपील करता हूं जो घाटी में ऐसे हालात पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं. कश्मीर के भविष्य के बिना भारत का भविष्य नहीं हो सकता.’’

गृह मंत्री ने कहा कि आठ जुलाई को हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद घाटी के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शन कर रहे लोगों से निपटते समय सुरक्षा बलों को अधिकतम संयंम बरतने के लिए कहा गया.

उन्होंने कहा, ‘‘सुरक्षा बलों को अधिकतम संयंम बरतने के लिए कहा गया और वह ऐसा कर रहे हैं, वह प्रदर्शनकारियों के गुस्से का सामना भी कर रहे हैं जिसके फलस्वरूप अब तक 4,500 सुरक्षा कर्मी घायल हो गए हैं.’’

'कश्मीर में बाढ़ के दौरान सुरक्षा बलों की भूमिका न भूलें'

सिंह ने कहा, ‘‘मैं हर व्यक्ति से अपील करना चाहूंगा कि कश्मीर में बाढ़ (वर्ष 2014 में) के दौरान सुरक्षा बलों की भूमिका को न भूलें.’’

गृह मंत्री ने कहा कि पत्थर हाथों में उठाने वाले दिग्भ्रमित युवाओं को समझाया जाना चाहिए. ‘‘अगर कुछ भ्रमित युवा पत्थर उठा रहे हैं तो उन्हें समझाया जाना चाहिए. बच्चे तो बच्चे हैं. हम कश्मीर के भविष्य को भारत के भविष्य से अलग करने की बात नहीं सोच सकते.’’

सिंह ने कहा कि सरकार ने कश्मीर में हमारे कुछ युवाओं को गुमराह करने की कोशिश कर रहे तत्वों की पहचान की है.

उन्होंने कश्मीर में युवाओं को गुमराह कर रहे लोगों से घाटी के बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ न करने की अपील की.

सिंह ने कहा कि एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल जल्द ही जम्मू कश्मीर का दौरा कर विभिन्न वग्रे के लोगों के साथ बातचीत करेगा और मुख्यमंत्री से इसके लिए इंतजाम करने को कहा गया है.

'कश्मीर के भविष्य को भारत के भविष्य से अलग करने की बात नहीं सोच सकते'

कश्मीर में व्याप्त हालात को लेकर केंद्र सरकार की समझ पर उठाए गए सवाल के जवाब में गृहमंत्री ने कहा, ‘‘हालात को लेकर हमारी समझ पर सवाल मत उठाईए. हम समाधान खोजने की कोशिश कर रहे हैं.’’

उन्होंने कहा कि देश के अन्य हिस्सों में रह रहे परेशान कश्मीरी लोगों की मदद के लिए केंद्र सरकार जल्द ही एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने वाली है.

सिंह ने बताया कि इस दो दिवसीय दौरे के दौरान करीब 300 लोगों के 2.0 प्रतिनिधिमंडलों ने उनसे मुलाकात कर उन्हें भरोसा दिलाया है कि वे सभी कश्मीर में शांति चाहते हैं.

मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर की 95 प्रतिशत जनता बातचीत के जरिए शांतिपूर्ण हल चाहती है और केवल पांच फीसदी लोग इस पूरी प्रक्रिया को पटरी से उतार रहे हैं.

महबूबा ने कहा, ‘‘राज्य के 95 फीसदी लोग हिंसा नहीं शांति चाहते हैं. हमें उन तक पहुंचना होगा.’’

महबूबा ने कहा कि पत्थरबाजी और सुरक्षा शिविरों पर हमला करके कोई हल नहीं निकलने वाला.

मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार और राजनीतिक पार्टियों का पूरा ध्यान उन 95 फीसदी कश्मीरियों पर होना चाहिए जो मुश्किलें खड़ी नहीं करना चाहते और अपने निजी स्वार्थों के लिए संस्थानों पर हमला नहीं करना चाहते हैं.

'महबूबा बोलीं, कश्मीर को नहीं बनने देंगे जहन्नुम'

जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा, ‘‘हमें उन लोगों के बीच अंतर को समझना होगा जो बातचीत के जरिए शांतिपूर्ण समाधान चाहते हैं और वे लोग जो गरीब बच्चों को पत्थरबाजी का प्रशिक्षण देते हैं. मैं उम्मीद करती हूं कि हमारा ध्यान उन लोगों पर होगा जो इंसानियत के दायरे में रहते हुए दोस्ती का हाथ बढ़ाना चाहते हैं. मुश्किलें खड़ी करने की नीयत रखने वाले लोगों को हमें यहां के बाकी लोगों के जीवन को जहन्नुम बनाने की इजाजत नहीं देनी चाहिए.’’

महबूबा ने कहा कि कुछ तत्व सेना के शिविरों पर हमले कर कश्मीरी युवाओं का ढाल की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘क्योंकि वे चाहते हैं कि इसका खामियाजा हमारे यहां के बच्चे उठाएं.’’

मुख्यमंत्री ने कहा कि 2016 और 2010 की परिस्थितियों की तुलना इसलिए नहीं की जा सकती है क्योकि तब अशांति फर्जी मुठभेड़ और कथित बलात्कार के चलते पैदा हुई थी जबकि ताजा हालात तीन आतंकवादियों के मारे जाने के बाद बने हैं.

गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि जब भी कोई कश्मीरी युवा या सुरक्षा जवान मारा जाता तो इसका दर्द पूरा देश महसूस करता है.

उन्होंने कहा, ‘‘क्या हम कश्मीर को ऐसे हालात से बाहर नहीं निकाल सकते हैं? मैं हर किसी से अपील करना चाहता हूं- कश्मीर के सभी भाईयों और बहनों से कि वे कश्मीरी युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं करें.’’



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